New Delhi, Jun 11 : बॉक्सिंग रिंग में बड़े-बड़े धुरंधरों को चित कर देने वाले डिंको सिंह आखिरकार कैंसर से जंग हार गये, यकृत के कैंसर से लंबे समय तक जूझने के बाद उनका गुरुवार 10 जून को निधन हो गया, वो 42 साल के थे, वो 2017 से इस बीमारी से जूझ रहे थे, उनके परिवार में पत्नी बाबइ नगानगोम और एक बेटा तथा एक बेटी है, उनके निधन से भारतीय मुक्केबाजी में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया।
भारतीय मुक्केबाजी में छाप
डिंको सिंह ने कभी ओलंपिक पदक नहीं जीता, लेकिन इसके बावजूद उन्होने भारतीय मुक्केबाजी में अमिट छाप छोड़ी, जो भावी पीढी को भी प्रेरित करती रहेगी, डिंको की सबसे बड़ी उपलब्धि बैकॉक एशियाई खेल 1998 में स्वर्ण पदक जीतना था,
अनाथालय से एशियाड चैंपियन
डिंको सिंह मुक्केबाजी के सुपरनोवा थे, हालांकि उनका अनाथालय से एशियाड चैंपियन बनने का सफर बहुत आसान नहीं रहा था, डिंको का जन्म इंफाल के सेकता गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था,
मजबूत शारीरिक क्षमता
भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा शुरु किये गये विशेष क्षेत्र खेल कार्यक्रम के लोगों की अनाथालय में ही डिंको पर नजर पड़ी थी, डिंको प्रतिभाशाली होने के साथ-साथ मजबूत शारीरिक क्षमता के धनी थे,
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