New Delhi, Jun 17: देवकी ने जन्मा, यशोदा ने पाला पोसा … भगवान कृष्ण की इन दो माओं को कौन नहीं जानता । ठीक ऐसे ही कानपुर के शुभम की जिंदगी में भी दो मां हैं, उसकी ये दोनों मांएं आज तक उसके जीवन में हर जरूरी, शुभ काम में साथ रही हैं, अब जब उसकी शादी हो रही है तो भी उसकी ये ये दो मांएं एक साथ ही नजर आएंगी । सामाजिक समरसता की मिसाल बना ये परिवार क्यों चर्चा में हैं आगे पढ़ें ।
एक मां सवर्ण दो दूसरी दलित
शुभम की एक मां सवर्ण जाति की हैं, जबकि दूसरी दलित समाज से आती हैं ।
दूसरी मां से मिला जीवनदान
कानपुर देहात के रसूलाबाद सजावारपुर जोत निवासी जयचंद्र सिंह वैश और उनकी पत्नी रानी सिंह ने अपने तीसरे बेटे के जीवन को बचाने के लिए ये कदम उठाया । शुभम को दूसरी मां अस्पताल में मिलीं, जब जयचंद्र की पत्नी तीसरी बार गर्भवती हुईं तो उन्हें कमला नेहरू अस्पताल प्रयागराज में ही भर्ती कराया गया। वार्ड में उनके पास वाले बेड पर दलत समाज की प्रयागराज के शिवकुटी निवासी अनीता भी भर्ती थीं । उनकी देखरेख के लिए बहन सुनीता कनौजिया वहां थीं। जयचंद्र ने जब सुनीता से उनके तीसरे बच्चे के जन्म पर उसकी देखरेख करने की बात की तो वह राजी हो गईं। इसके बाद शुभम के जन्म पर उसे सुनीता की गोद में दे दिया गया ।
सुनीता ने पाला-पोसा
इस बेटे का नाम शुभम सिंह रखा गया, और सुनीता ने उसका लालन पालन
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