अफगानिस्‍तान में तालिबान राज, चीन और पाकिस्‍तान का ये है गेम प्‍लान, इनसाइड स्‍टोरी

अफगानिस्‍तान में तालिबान का कब्‍जा हो चुका है, इस बार पाकिस्तान अफगानिस्तान में बड़ा गेम खेलने को तैयार है लेकिन उसका दोस्त चीन भी ये मौका अपने हाथ से कैसे जाने दे सकता है ।

New Delhi, Aug 28: पाकिस्‍तान और तालिबान में सांठगांठ की चर्चा लंबे समय से होती आ रही है, पश्चिमी देशों ने तो सबूतों के साथ अपने इस दावे को पुख्‍ता किया है कि पाकिस्तान और तालिबान एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं । हालांकि इस्लामाबाद इन आरोपों को हमेशा नकारता आया है । लेकिन अब जब अफगानिस्‍तान की धरती पर पूरी तरह से तालिबान कब्‍जा कर बैठा है तो पाकिस्‍तान की भी बांछें खिल गई हैं । तभी तो देश के मुखिया प्रधानमंत्री इमरान खान के मुह से भी निकल ही गया कि अफगानों ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ फेंका है ।

पाकिस्‍तान कर रहा मदद
सूत्रों के हवाले से खबर है कि पाकिस्‍तान तालिबान को अफगानिस्तान में सरकार गठन की प्रक्रिया में मदद कर रहा है । तालिबानी देश पर पकड़ मजबूत करना चाहते हैं और इसके लिए उसके आका लगातर बैठकें कर रहे हैं । मीडिया रिपोरर्ट के अनुसार इन बैठकों में कुछ पाकिस्तानी अधिकारी शामिल हैं । नए रिश्‍तों को लेकर इस्लामाबाद के विदेश मंत्रालय की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में एक समावेशी राजनीतिक समझौता चाहता है । पाकिस्तान ने यह भी स्‍पष्‍ट रूप से मनवाना चाहता है कि अफगानिस्तान में उसकी भूमिका अहम है ।

चीन की भी है नजर
वहीं पाकिस्‍तान के दोस्‍त चीन ने अब तालिबानी कब्‍जे के बाद अफगानिस्‍तान पर दरियादिली दिखानी शुरू कर दी है । चीन की अब से पहले तक अफगानिस्तान में कोई भूमिका नहीं रही, लेकिन अब जब ये तालिबान के हाथ में है तो उसे एशिया में वर्चस्‍व बढ़ाने का रास्‍ता साफ नजर आ रहा है, इसीलिए उसने तालिबानी सरकार को दबे-छुपे शब्‍दों में अपना पूरा समर्थन दिया है । चीन, पाकिस्तान का वह मजबूत साझेदार है और माना जा रहा है कि चीन की नजर अफगानिस्तान के खनिज संपदा पर है । यहां मौजूद लिथियम के भंडार पर चीन अधिकार पाने की जुगत लगाना चाहता है । यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि अफगानिस्‍तान की सत्‍ता पलटने का सबसे ज्‍यादा फायदा उठाने की फिराक में यही दो देश हैं ।

चीन की सफाई
हालांकि तालिबानियों के लिए नरम दिल रखने वाले चीन की सफाई ये है कि वो तालिबान के बीच इसलिए पहुंचना चाहता है ताकि वो अपने पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र को बीजिंग विरोधी ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) के उग्रवादियों से बचा सके, जिनके अफगानिस्तान में पनाह लेने की आशंका है । हालांकि अमेरिकी सरकार ये कब का कह चुकी है कि ETIM अब औपचारिक संगठन के रूप में मौजूद ही नहीं है यानी चीन का ये खतरा बेबुनियाद है ।

भारत से संबंध
वर्तमान समय में भारत के पास अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से हर एक में विकास परियोजनाएं हैं, फिर वो छोटी हों या बड़ी । इनमें काबुल में संसद भवन का निर्माण भी शामिल है । गनी सरकार के साथ मिलकर भारत सरकार अफगानिस्‍तान को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए काम कर रही थी । लेकिन अब जब हालात पूरी तरह बदल गए हैं तो भारत के साथ तालिबान कैसे रिश्‍ते रखना चाहेगा, ये आने वाला वक्त बताएगा । हालांकि बुद्धिजीवियों के मुताबिक ताजा हालात भारत के लिए एक झटके की तरह हैं । देश को इस समय सावधान रहने की जरूरत है साथ ही पड़ोसी पर कड़ी नजर रखनी होगी ।
(Source: Media Reports on Internet)

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