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इन 7 जातियों के भरोसे पूर्वांचल को साधेगी बीजेपी, सपा-बसपा के पास भी नहीं है काट

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पूर्वांचल में कुर्मी मतों में सेंध लगाने में कामयाब हुई थी।

New Delhi, Nov 09 : बीजेपी पूर्वांचल की 7 पार्टियों भारतीय मानव समाज पार्टी, शोषित समाज पार्टी, भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी, भारतीय समता समाज पार्टी, मानवहित पार्टी, पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी तथा मुसहर आंदोलन मंच उर्फ गरीब पार्टी को एक मंच पर लाने में कामयाब हो गई है, ये सभी पार्टियां पिछड़ी जाति की है, इनका प्रभाव सीमित ही सही लेकिन अपने-अपने इलाके में प्रभावी है, बीजेपी की कोशिश इन छोटी-छोटी पार्टियों को एक साथ लाकर यूपी में गैर यादव ओबीसी वोट बैंक में प्रभावी पकड़ बनाना है।

राजभर के सपा के साथ जाने से बदला गणित
2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पूर्वांचल में कुर्मी मतों में सेंध लगाने में कामयाब हुई थी, लेकिन इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी नेता ओपी राजभर ने सपा का साथ देने की घोषणा की है, इस कारण बीजेपी ने छोटी-छोटी 7 पार्टियों को अपने साथ लाने की कवायद चली है, बीते महीने ही बीजेपी ने इन पार्टियों के साथ गठबंधन का ऐलान किया है, इसे हिस्सेदारी मोर्चा का नाम दिया गया है।

ये है गणित
हिस्सेदारी मोर्चा का संयोजक केवट रामधनी बिंद को बनाया गया है, द प्रिंट वेबसाइट से बातचीत में बिंद कहते हैं कि हमारे पास छोटी-छोटी जाति समूहों का समर्थन है, हमने देखा है कि बीजेपी गैर यादव ओबीसी तथा दलित पर फोकस कर रही है, इसी कारण हमने उनके साथ गठबंधन का फैसला लिया है, हम बीजेपी नेतृत्व के आभारी हैं, उन्होने इस मोर्चे को एक बड़ा मंच दिया है, हम आगामी विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

भारतीय मानव समाज पार्टी
इस पार्टी को 2017 में बनाया गया, इसके प्रमुख केवट रामधनी बिंद हैं, ये ओबीसी में आने वाली निषाद जाति की उपजाति है, पूर्वी उत्तर प्रदेश के करीब 10 जिलों प्रयागराज, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र और गाजीपुर में बिंद जाति की करीब 6 फीसदी आबादी है, ये यहां की कई सीटों पर हार-जीत तय करने में सक्षम है।
शोषित समाज पार्टी
इस पार्टी की स्थापना 2020 में हुई, इसके प्रमुख बाबू लाल राजभर हैं, जो एक समय ओपी राजभर के करीबी थे, उनकी पार्टी राजभर समुदाय समेत अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है, बाबूलाल ने ओपी राजभर पर परिवारवाद का आरोप लगाकर अपनी अलग पार्टी बनाई है, बाबूलाल का दावा है कि पूर्वांचल में राजभर समुदाय की आबादी करीब 14 से 22 फीसदी के बीच है, वो कहते हैं कि ओपी राजभर सिर्फ अपने परिवार के बारे में सोचते हैं, इसलिये इस बार समुदाय उनकी पार्टी को वोट नहीं करेगा।

भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी
इस पार्टी की स्थापना पिछले साल 2020 में की गई है, इसके प्रमुख भीम राजभर हैं, इस पार्टी का बलिया जिले के राजभर समुदाय पर अच्छा-खासा प्रभाव बताया जाता है, भीम राजभर भी पहले ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का हिस्सा रह चुके हैं।
भारतीय समता समाज पार्टी
इसके प्रमुख महेन्द्र प्रजापति हैं, इस पार्टी की स्थापना 2008 में हुई थी, इस पार्टी की नजर ओबीसी में ओने वाले प्रजापति समुदाय पर है, महेन्द्र प्रजापति का दावा है कि उनके समुदाय की आबादी प्रदेश की कुल जनसंख्या में करीब 5 फीसदी है, प्रजापति मुख्य रुप से मिट्टी के बर्तन बनाने वाली कुम्हरार जाति होते हैं, परंपरागत रुप से ये सपा की वोटर रही है, लेकिन गैर यादव ओबीसी के बीजेपी के समीकरण में ये जाति खुद को फिट पाती है।

मानवहित पार्टी
इस पार्टी की स्थापना 2015 में हुई थी, इसके प्रमुख कृष्ण गोपाल सिंह हैं, इस पार्टी की नजर निषाद समुदाय की उपजाति कश्यप पर है, इस समुदाय के लोगों ने 1998 से 2014 तक बसपा का साथ दिया, लेकिन अब ये भी बीजेपी के गैर यादव ओबीसी फॉर्मूले में फिट बैठ रही है, गोपाल सिंह का दावा है कि प्रदेश की आबादी में कश्यप समुदाय की हिस्सेदारी करीब 3 फीसदी है।
पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी
इस पार्टी की स्थापना 2018 में हुई, इसके प्रमुख चंदन सिंह चौहान हैं, ये मुख्य रुप से नोनिया जाति की पार्टी है, पूर्वी यूपी में ये एक प्रमुख ओबीसी जाति है, ऐसा दावा किया जाता है कि पूर्वांचल में इस जाति की हिस्सेदारी करीब 3 फीसदी है, वाराणसी, चंदौसी तथा मिर्जापुर में इनका प्रभाव बताया जाता है।
मुसहर आंदोलन मंच
इसकी स्थापना 2020 में हुई, इसके प्रमुख चंद्रमा वनवासी हैं, इस समूह ने खुद को गरीब पार्टी के नाम से पंजीकरण कराने में लगा है, ये पूर्वी यूपी के गाजीपुर में एक्टिव है, इनका फोकस दलित समुदाय में आने वाली मुसहर जाति है।

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