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पंजाब कांग्रेस में थम नहीं रहा घमासान?, नये प्रदेश अध्यक्ष के लिये चुनौती बन रहे सिद्धू

पंजाब कांग्रेस के नये अध्यक्ष अमरिंदर सिंह वडिंग के सामने प्रदेश में पार्टी को एकजुट करने की बड़ी चुनौती है, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन इसी साल पंजाब में होने जा रहे स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की परीक्षा होनी है।

New Delhi, Apr 20 : पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू प्रदेश में अपनी पार्टी की सरकार के दौरान वरिष्ठ नेताओं के लिये किस तरह चुनौती बनकर रहे, ये किसी से छिपा हुआ नहीं है, पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और उसके बाद सीएम बने चरणजीत सिंह चन्नी के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा सबको पता है, अब पंजाब में कांग्रेस की सरकार तो नहीं रही, लेकिन सिद्धू के तेवर कायम हैं, कांग्रेस ने पंजाब में पार्टी की कमान अब अमरिंदर सिंह राजा व़डिंग को सौंपी है, लेकिन सिद्धू उनके सामने भी चुनौती बनकर खड़े हो रहे हैं, ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है।

पार्टी को एकजुट करने की चुनौती
पंजाब कांग्रेस के नये अध्यक्ष अमरिंदर सिंह वडिंग के सामने प्रदेश में पार्टी को एकजुट करने की बड़ी चुनौती है, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन इसी साल पंजाब में होने जा रहे स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस की परीक्षा होनी है, इसके लिये राजा वडिंग तैयारी में जुट गये हैं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से ही वो राज्य के वरिष्ठ नेताओं से बात कर रहे हैं, इस बीच जब कांग्रेस की अमृतसर बैठक में पहुंचे, तो सिद्धू वहां से नदारद थे, बताया तो यहां तक जा रहा है कि राजा वडिंग ने जब फोन पर सिद्धू से बात करने की कोशिश की, तो वो बिजी मिले और संपर्क नहीं हुआ, इस तरह के घटनाक्रम संकेत देते हैं कि कांग्रेस में अंदरुनी घमासान अभी खत्म नहीं हुआ है।

सिद्धू ने फिर दिखाये तेवर
सियासी जानकारों की माने, तो राजा वडिंग के अध्यक्ष बनते ही सिद्धू उनके सामने एक चुनौती बनकर खड़े हो गये, सिद्धू ने बीते दिनों महंगाई के खिलाफ हुए प्रदर्शन में कह दिया था, कि वो ईमानदार हैं और कांग्रेस में भ्रष्ट नेता हैं, ये कुछ ऐसा ही था जैसे सिद्धू अपनी ही कैप्टन अमरिंदर सिंह और चन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल देते थे, चुनाव प्रचार के दौरान सिद्धू ने तो यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस ही कांग्रेस को हरा सकती है, ये आपसी फूट का संकेत था, जिसे अब कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष राजा वडिंग भी मानते हैं, वो स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस आपसी कलह की वजह से हारी, कांग्रेस के असंतुष्टों के साथ अलग से बैठक कर रहे सिद्धू अगर पहले की तरह ही आक्रामकता अपनाते हैं, संगठन के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं, तो राजा वडिंग की मुश्किलें बढना तय है।

सिद्धू को लेकर हाईकमान की मजबूरी
सिद्धू को लेकर कांग्रेस हाईकमान की क्या मजबूरी है, ये तो वहीं जाने, लेकिन ये साफ है कि कई बार सिद्धू के अपने ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल देने के बावजूद पार्टी ने चुप्पी साधे रखी, सिद्धू जब पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे, तो उन्होने मलविंदर सिंह मल्ली को अपना सलाहकार बनाया था, मल्ली ने दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक विवादस्पद स्केच सोशल मीडिया पर पोस्ट कर विवाद खड़ा कर दिया था, जिसमें इंदिरा गांधी मानव खोपड़ियों के ढेर के पास खड़ी दिख रही थी।

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