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क्यों बागी हो गये एकनाथ शिंदे, आदित्य ठाकरे तो वजह नहीं? बगावत की Inside Story

पिछले कुछ दिनों से इस तरह की बातें सामने आ रही थी कि एकनाथ शिंदे पार्टी चलाने के तौर-तरीकों तथा पुराने नेताओं के साथ हो रहे बर्ताव से खुश नहीं थे, पिछले दो सालों में पार्टी ने पीढीगत परिवर्तन देखा है।

New Delhi, Jun 22 : जिस एकनाथ शिंदे ने कुछ घंटे पहले ही महाराष्ट्र एमएलसी चुनाव में शिवसेना की जीत पर खुशी जाहिर की, उनका करीब 30 विधायकों के साथ सूरत चले जाना हर किसी को चौंका रहा है, शिवसेना तथा ठाकरे परिवार के प्रति निष्ठा की शपथ लेने वाले एकनाथ के इस व्यवहार क लेकर कई तरह की बातें हो रही है, उनके इस कदम ने ये भी जाहिर कर दिया है कि वो पार्टी से काफी नाराज हैं, लेकिन इसके पीछे की असली वजह क्या है, एनसीपी से गठबंधन, पार्टी में उनकी अनदेखी या फिर उभरते युवा नेता आदित्य ठाकरे।

आदित्य ठाकरे हैं वजह?
एकनाथ शिंदे की इस नाराजगी की एक वजह सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे तथा महाराष्ट्र सरकार में मंत्री उद्धव ठाकरे को भी माना जा रहा है, सूत्रों का दावा है कि पार्टी में युवा विंग के नेताओं को पुराने साथियों की तुलना में ज्यादा तरजीह मिलना, उनके विभागों में आदित्य और उनके साथियों की दखलअंदाजी भी एकनाथ की नाराजगी की एक बड़ी वजह मानी जा रही है।

एकनाथ के साथ बर्ताव बदला
पिछले कुछ दिनों से इस तरह की बातें सामने आ रही थी कि एकनाथ शिंदे पार्टी चलाने के तौर-तरीकों तथा पुराने नेताओं के साथ हो रहे बर्ताव से खुश नहीं थे, पिछले दो सालों में पार्टी ने पीढीगत परिवर्तन देखा, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में नयी पीढी का उदय हुई, जिसमें युवा नेताओं को तरजीह दी जाने लगी। सूत्रों का ये भी कहना है कि काफी समय से एकनाथ शिंदे प्रमुख विभागों के प्रभारी रहे, जिनमें उन्हें स्वतंत्र काम करने के लिये नहीं दिया जा रहा था, उनके विभागों में आदित्य ठाकरे और उनकी आंतरिक मंडली की बढती दखलअंदाजी के कारण वो काफी नाराज थे, प्रदेश के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार एकनाथ शिंदे मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं, फिर भी पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे अकसर एमएमआरडीए की मीटिंग में शामिल होते थे, जिसकी वजह से शिंदे ने प्राधिकरण के मामलों में दिलचस्पी लेना कम कर दिया।

मातोश्री भी जाना हुआ कम
पिछले दो सालों में खासतौर से कोरोना महामारी के दौरान से ही एकनाथ शिंदे का ठाकरे के आवास मातोश्री में भी आना-जाना कम हो गया, इसके साथ ही धीरे-धीरे उन्होने ठाकरे परिवार से दूरी बनाना शुरु कर दिया। जिसका नतीजा अब बगावत के रुप में सामने आया है।

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