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धर्मेन्द्र के साथ शिवपाल वाला खेला कर गये अखिलेश, निरहुआ ने खुद समझाया कैसे?

मीडिया से बात करते हुए निरहुआ ने कहा कि अखिलेश यादव को यहां से जरा भी उम्मीद होती, तो वो यहां जरुर आते, लेकिन नहीं आये, क्यों नहीं आये, क्योंकि उन्हें पता है कि गढ टूट गया है और हार तय है।

New Delhi, Jun 24 : यूपी के आजमगढ में गुरुवार को लोकसभा उपचुनाव के लिये वोट डाले गये, जहां 48.48 फीसदी मतदान हुआ, बीजेपी ने आजमगढ सीट पर हो रहे उपचुनाव में भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को एक बार फिर मैदान में उतारा है, वहीं सपा ने बदायूं से पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बसपा की ओर से पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली पर दांव लगाया है, आजमगढ में इन तीनों के बीच ही मुकाबला माना जा रहा है, वैसे क्षेत्र में कुल 13 उम्मीदवार उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

जीत का दावा
आजमगढ लोकसभा सीट सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद तथा लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई है, गुरुवार को वोटिंग खत्म होने के बाद बीजेपी उम्मीदवार निरहुआ ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि अखिलेश ने खुद धर्मेन्द्र यादव के साथ खेल कर दिया। मीडिया से बात करते हुए निरहुआ ने कहा कि अखिलेश यादव को यहां से जरा भी उम्मीद होती, तो वो यहां जरुर आते, लेकिन नहीं आये, क्यों नहीं आये, क्योंकि उन्हें पता है कि गढ टूट गया है और हार तय है। उन्होने कहा मैं क्षेत्र में घूम रहा तो लोग मुझसे यही कह रहे थे कि उनको और उनके पिताजी को यहां से बार-बार मौका मिला, लेकिन कुछ किया नहीं, इसलिये अब लोग कह रहे हैं कि हम बीजेपी को सपोर्ट करेंगे।

धर्मेन्द्र यादव को फरार नहीं लाचार करेंगे
बीजेपी नेता निरहुआ ने अपने एक गाने का जिक्र करते हुए कहा धर्मेन्द्र यादव को फरार नहीं लाचार करेंगे, अखिलेश यही कर रहे हैं इसलिये उन्हें आजमगढ भेजा, पहले चाचा शिवपाल को किनारे किया, जब देख लिया कि आजमगढ में मैने कुछ किया नहीं है, तो कुछ हासिल नहीं होगा, इसलिये धर्मेन्द्र यादव को यहां भेजकर किनारे लगा दिया, वो अपने आगे ना तो भाई को चाहते हैं और ना चाचा है, ना ही पार्टी के किसी दूसरे नेता को, वो बिल्कुल नहीं चाहते कि कोई उनसे आगे बढे या उनका नाम हो।

सपा का गढ
आपको बता दें कि आजमगढ लोकसभा सीट सपा का मजबूत गढ माना जाता रहा है, आजमगढ सीट से अखिलेश यादव से पहले 2014 में उनके पिता मुलायम सिंह यादव सांसद थे, इसलिये ये सीट सपा के लिये प्रतिष्ठा का सवाल है, सत्ताधारी बीजेपी यहां पूर जोर लगा रही है, तो बसपा ने भी अपने उम्मीदवार उतार दिये हैं।

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