शिंदे स्पेशल: बगावत से ‘बादशाह’ तक, ठाणे की सड़कों पर ऑटो तक चलाया, सम्पति हैरान कर देगी

एकनाथ शिंदे का राजनीतिक सफर ठाणे से शुरू हुआ था । एक मामूली रिक्‍शा चालक के सीएम की कुर्सी तक पहुंचने की कहानी आगे पढ़ें ।

New Delhi, Jun 30: शिवसेना के सच्‍चे सिपाही कहलाने वाले एकनाथ शिंदे ने बाला साहेब के बेटे की सरकार हिला दी । ऐसी बगावत की कि उद्धव ठाकरे को इस्‍तीफा देना पड़ गया । महाराष्‍ट्र की तीन टांगों वाली सरकार चरमाकर गिर गई । अब एकनाथ शिंदे राज्‍य के नए सीएम होंगे । बगावत से बादशाह तक के इस सफर में एकनाथ शिंदे ने क्‍या कुछ नहीं देखा । राजनीति में दिलचस्‍पी उन्‍हें आज इस मुकाम तक ले आई कि वो मुख्‍यमंत्री बन रहे हैं ।

सतारा से हैं एकनाथ शिंदे
एकनाथ शिंदे आज जिस राज्‍य के मुख्‍यमंत्री बन रहे हैं वही उनकी जन्‍मभूमि और कर्मभूमि है । शिंदे मूल रूप से सतारा जिले से हैं, 70 के दशक में पूरा परिवार ठाणे आ गया । तब शिंदे की उम्र मात्र 10 साल थी । जब युवा हुए तो ऑटो रिक्शा चलाकर परिवार की आर्थिक रूप से मदद की । इतना ही नहीं घर चलाने के लिए वो शराब कारखाने में भी नौकरी कर चुके हैं। शिंदे की राजनीति में शुरुआत से ही दिलचस्पी रहीं । इसी के चलते वो तत्कालीन ठाणे जिला में शिवसेना अध्यक्ष आनंद दीघे के करीब आ गए, उनका विश्‍वास जीता और टिकट पा लिया ।

समर्पण से खुश हुए थे दीघे
आनंद दीघे ने एकनाथ शिंदे की पार्टी में सक्रियता और समर्पण को देखते हुए उन्‍हें ठाणे नगर पालिका का टिकट लिा दिया, शिंदे ने इसमें जीत दर्ज की । दीघे ने उन्‍हें सदन का नेता बना दिया। इसके बाद साल 2004 में, वह कोपरी-पछपाखडी सीट जीतकर पहली बार विधायक बने और फिर लगातार चार बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं। एकनाथ शिंदे एक आंदोलनकारी के रूप में काम करते रहे हैं, उनकी जुझारू कार्य शैली की शिवसेना हमेशा से कायल रही । शिंदे हमेशा से ठाकरे परिवार के गहरे वफादार व्यक्तियों में से एक थे। साल 2019 में भाजपा को झटका देकर शिवसेना ने जब कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाई तो शिंदे के नाखुश होने की खूब चर्चा थी। यही नाखुशी पिछले ढाई साल में बगावत का रूप लेकर सामने आ गई ।

राजनीति छोड़ना चाहते थे एकनाथ
महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री बनने जा रहे एकनाथ शिंदे कभी राजनीति छोड़ना चाहते थे । साल 2000 में एकनाथ अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा के साथ सतारा गए थे। यहीं बोटिंग करते हुए एक्सीडेंट हुआ और शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखो के सामने डूब गए। उस वक्त शिंदे इतना अूट गए थे कि वो राजनीति छोड़ने का मन बना चुके थे । हालांकि उनके इस दुख के समय में आनंद दीघे ने उन्‍हें संभाला और वो उन्‍हें राजनीति में वापस ले आए । एकनाथ शिवसेना में आनंद दीघे की विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं । 26 अगस्त 2001 को एक हादसे में आनंद दीघे की मौत के बाद शिवसेना ने उन्‍हें चुना । शिंदे का कहना है कि उन्हें राजनीति में लाने और अहम जिम्मेदारियां देकर नेतागीरी सिखाने वाले आनंद दीघे ही थे।

करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं एकनाथ
साल 2019 चुनाव के वक्त एकनाथ शिंदे की ओर से चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक उनके पास दो करोड़ की चल संपत्ति है । इसके साथ ही उनके पास 9 करोड़ की अचल संपत्ति है । इसके साथ ही उन पर 18 मुकदमे दर्ज हैं, हालांकि वो अब तक किसी भी केस में दोषी नहीं पाए गये हैं। एकनाथ शिंदे कुल 11वीं तक पढ़े हैं । परिवार संभालने के लिए उन्‍होंने पढ़ाई छोड़ दी । एकनाथ शिंदे के परिवार की बात करें तो उनका बेटा श्रीकान्त शिंदे आर्थोपैडिक डॉक्टर हैं । लेकिन पिता की तरह वो भी राजनीति में हैं, श्रीकांत लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज कर चुके हैं। बहरहाल,, एकनाथ शिंदे अब महाराष्‍ट्र के मुखिया हैं । उन्‍होंने विश्‍वास दिलाया है कि केन्‍द्र सरकार के साथ मिलकर वो राज्‍य की बेहतरी के लिए काम करते रहेंगे ।

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