Inside Story: क्‍यों त्‍याग दी कुर्सी? देवेन्‍द्र फडणवीस का शिंदे को सीएम बनाने के पीछे है बड़ा प्‍लान

भाजपा और देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का अगला सीएम बनाने का फैसला कर सबको चौंका दिया है । इस कदम के पीछे का प्‍लान क्‍या है, आइए टटोलते हैं ।

New Delhi, Jun 30: महाराष्‍ट्र में एक बड़ा उलटफेर तब हो गया जब देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्‍ट्र के नए सीएम का ऐलान कर दिया । सुबह से ही खबरों में फडणवीस के मुख्‍यमंत्री बनने और एकनाथ शिंदे के उपमुख्‍यमंत्री बनने की खबरें चर्चा में थीं । लेकिन कुछ देर पहले हुई प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के बाद सब बदल गया । देवेन्‍द्र फडणवीस ने ये कहकर सबको चौंका दिया कि, महाराष्ट्र में नई सरकार मुखिया यानी कि प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे एकनाथ शिंदे ।

खुद सत्‍ता से किनारे हुए फडणवीस
सबको चौंकाते हुए खुद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे को समर्थन देकर मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान करते हुए साफ किया कि वह किंग नहीं, किंगमेकर होंगे। फडणवीस के इस फैसले के बाद सियासी गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई । किसी ने यह सोचा तक नहीं था कि बीजेपी ऐसा कर सकती है । दोगुनी से अधिक सीटों के बावजूद भाजपा शिंदे की शिवसेना को इस तरह सत्ता सौंप दी जाएगी । लेकिन आखिर ऐसा हुआ क्‍यों । आखिर क्‍यों फडणवीस और भाजपा ने कुर्सी त्‍याग कर, सत्‍ता शिंदे को सौंप दी ।

बीजेपी को फायदे कई, नुकसान नहीं
राजनीति के एक्‍सपर्ट इस मामले में कह रहे हैं कि ये कोई त्‍याग नहीं बल्कि एक पॉलिटिकल गेम प्‍लान है । यानी देवेंद्र फडणवीस का यह गेमप्लान ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे’ की कहावत पर आधारित है। बीजेपी ने ऐसा कर उद्धव ठाकरे से 2019 के ‘धोखे’ का बदला ले लिया है, जब साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बाद शिवसेना ने पलटी मारते हुए कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इतना ही नहीं उस बेइज्‍जती का भी जब अजित पवार को तोड़कर फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें 24 घंटे में ही कुर्सी से उतरना पड़ा। हालांकि सत्‍ता एक शिवसैनिक को ही सौंपना, जनता को यही संदेश है कि सत्ता के लालच में उद्धव की सरकार नहीं गिराई गई है।

उद्धव-राउत के मंसूबों पर फिरा पानी
एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के 39 विधायकों की बगावत के बाद से उद्धव खेमा लगातार इस पूरे घटनाक्रम के लिए बीजेपी को जिम्‍मेदार ठहरा रहा था । भाजपा को सत्ता का लालची और विधायकों की खरीद-फरोख्त करने वाला बता रहा था । फडणवीस के इस एक ऐलान ने ठाकरे और राउत के इन आरोपों पर पानी फेर दिया है । राजनीतिक जानकारों का ये तक कहना है कि फडणवीस ने लंबी छलांग लेने के लिए कुछ कदम पीछे लिए हैं। बीजेपी अपने इस कदम से जनता को यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि उसने शिवसेना की सरकार गिराई नहीं है, बल्कि कथित तौर पर हिंदुत्व के अजेंडे से हट चुके उद्धव गुट को हटाकर बालासाहेब ठाकरे के नक्शेकदम पर आगे बढ़ने वाली शिवसेना को सत्ता में आने में मदद की है। अगले चुनाव में बीजेपी को इसका लाभ ही मिलेगा ।

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