New Delhi, Jul 30 : पिता परिवार के स्तंभ माने जाते हैं, क्योंकि वो शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय समेत हर तरह की सुरक्षा से भावना प्रदान करते हैं, एक पिता अपने बच्चों के विकास के लिये कुछ भी कर सकता है, वहीं हर बच्चा अपने पिता का नाम रोशन करता चाहता है, आज हम आपको एक ऐसे पिता के बारे में बताएंगे, जो अपने बेटे की पढाई के लिये अपनी किडनी तक बेचने को तैयार थे, बेटे ने भी आईपीएस बनकर पिता का नाम रोशन कर दिया है।
गरीब परिवार में जन्म
ये कहानी आईपीएस इंद्रजीत महथा का है, जिनका जन्म झारखंड के बोकारो जिले के एक छोटे से गांव में बेहद गरीब परिवार में हुआ था, इंद्रजीत ने 5वीं क्लास से ही अधिकारी बनने का सपना देखना शुरु कर दिया था,
गरीब किसान का बेटा
इंद्रजीत के पिता एक गरीब किसान थे, किसी तरह घर के लिये दो समय भोजन का इंतजाम कर पाते थे, इंद्रजीत का मकान भी कच्चा था, घर की दीवारें जर्जर हालत में थी, घर की हालत देखकर उनकी मां अपनी बहन के साथ चली गई और मायके में ही रहने लगी,
पढाई जारी रखा
हालांकि इसके बावजूद इंद्रजीत ने किसी तरह पढाई जारी रखा, वो कबाड़ किताबों से पढाई करते थे, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो नई किताब खरीद सके, वो पुरानी किताबों पर ही निर्भर थे, उनके पिता ने अपनी जमीन बेचनी शुरु कर दी, ताकि इंद्रजीत को पढाई के लिये दिल्ली भेज सके, जब इंद्रजीत पहले प्रयास में असफल हो गये, तो पिता ने उन्हें प्रोत्साहित किया,
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