रतन टाटा ने बदल दी इस स्‍टार्ट अप की किस्‍मत, फोन कर कहा-आपका खत मिला, क्‍या हम मिल सकते हैं

Repos Energy स्‍टार्ट अप की किस्‍मत तब बदल गई, जब इसकी फाउंडर के मन में रतन टाटा से मेंटोर कराने का आइडिया आया । हालांकि ये होना असंभव था ।

New Delhi, Aug 09: रतन टाटा की एक फोन कॉल और उनसे मिलने का ऑफर, बस फिर क्या था एक स्टार्टअप की किस्मत ही बदल गई । आज की तारीख में यह स्टार्टअप बुलंदियों पर है । ये कोई फिल्‍मी कहानी नहीं बल्कि, सच है । देश के जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा की ओर से ये कॉल रेपोस एनर्जी स्‍टार्टअप को किया गया था ।

क्‍या बनाती है कंपनी?
रतन टाटा के निवेश वाले पुणे स्थित मोबाइल एनर्जी डिस्ट्रीब्यूशन स्टार्टअप रेपोस एनर्जी ने कुछ समय पहले ही ऑर्गेनिक कचरे से संचालित ‘मोबाइल इलेक्ट्रिक चार्जिंग व्हीकल’ लॉन्च किया था । इस स्टार्टअप के फाउंडर्स अदिति भोसले वालुंज और चेतन वालुंज ने अपने शुरुआती दिनों के बारे में बताते हुए कहा कि रतन टाटा के एक फोन कॉल ने उनकी किस्मत बदल दी । इस फोन कॉल से पहले दोनों का सपना था कि उनकी कंपनी को टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा का मार्गदर्शन मिले।

सोशल मीडिया पर शेयर की पोस्‍ट
रेपोस एनर्जी की फाउंडर अदिति भोसले वालुंज ने अपने लिंक्डइन अकाउंट पर एक लंबी-चौड़ी पोस्ट शेयर की है । अदिति ने लिखा है, जब मैंने और चेतन ने स्टार्टअप शुरू किया तो मैंने कहा कि इसके लिए रतन टाटा मेंटर हों तो अच्छा रहेगा । हालांकि तब सभी ने कहा कि उनसे मिलना असंभव है । उन्होंने बताया कि इन बातों से उनका हौसला नहीं टूटा । अदिति ने कहा कि उन्होंने अपने प्रोजेक्ट से संबंधित एक 3डी प्रेजेंटेशन तैयार किया था । इसमें रेपोस एनर्जी के लक्ष्य और तकनीक के इस्तेमाल से एनर्जी या फ्यूल डिस्ट्रीब्यूशन और डिलीवरी सिस्टम में बदलाव की योजना को बताया गया है ।

घर के बाहर किया इंतजार
इस प्रेजेंटेशन को लेकर दोनों ने एक लेटर रतन टाटा को भेजा था । लेकिन काफी दिन तक जब कोई जवाब नहीं मिला, तो अदिति और चेतन रतन जी से मिलने उनके घर तक पहुंच गए । दोनों ने करीब 12 घंटे तक इंतजार किया, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो पाई । अदिति बताती हैं कि उनका इंतजार बेकार नहीं गया, जब हम होटल वापस आए, तभी एक फोन कॉल आया । जब अदिति ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से आवाज आई कि ‘हैलो, क्या मैं अदिति से बात कर सकता हूं.’ अदिति के मुताबिक, जब मैंने कहा कौन बोल रहा है, तो सामने से आवाज आई, मैं रतन टाटा बोल रहा हूं, मुझे तुम्हारा लेटर मिला, क्या हम मिल सकते हैं?  अदिति ने बताया कि इसके बाद वो टाटा ग्रुप के चेयरमैन से मिले । तीन घंटे चली मीटिंग में हमने अपने काम और लक्ष्य के बारे में बताया । जिसके बाद टाटा समूह की ओर से उन्‍हें 2019 में पहला और 2022 में दूसरा निवेश मिला ।

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