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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से गदगद बीजेपी, केरल में काम आसान, Inside Story

केरल में बीजेपी ने अभी तक लोकसभा की कोई सीट नहीं जीत पाई है, तमाम कोशिशों के बाद विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1 सीट हासिल कर पाई थी।

New Delhi, Sep 21 : बीजेपी की पहुंच से अब तक दूर केरल में पार्टी सफलता की उम्मीद कर रही है, कांग्रेस माकपा की अगुवाई वाले गठबंधनों यूडीएफ और एलडीएफ में बंटी प्रदेश की राजनीति में बीजेपी इन दोनों गठबंधनों के टकराव में संभावनाएं तलाशने में जुटी है, अंदरुनी तौर पर बीजेपी का मानना है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से ध्रुवीकरण का लाभ अप्रत्यक्ष रुप से उसे मिल सकता है।

केरल में बीजेपी की स्थिति
केरल में बीजेपी ने अभी तक लोकसभा की कोई सीट नहीं जीत पाई है, तमाम कोशिशों के बाद विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1 सीट हासिल कर पाई थी, 2016 में पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता ओ. राजगोपालन ने नेमम सीट पर जीत हासिल की थी, केरल में बीजेपी को राजनीतिक सफलता ना मिलना इसलिये भी चर्चा का विषय है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यहां पर काफी काम है, पूरे प्रदेश में उसके और माकपा के बीच हिंसक घटनाएं होती रहती है। आरएसएस की पहुंच भी बीजेपी को राजनीतिक लाभ नहीं दिला सकी है, जिसकी एक वजह प्रदेश में अधिकांश हिंदू मतों का झुकाव माकपा की ओर होना है, दरअसल कांग्रेस और मुस्लिम लीग गठबंधन के चलते मुस्लिम वोटरों का झुकाव कांग्रेस गठबंधन के साथ रहा है, चर्च और मुस्लिम राजनीति के वर्चस्व वाले इस प्रदेश में हिंदू समुदाय को माकपा से अपने पक्ष में लाना बीजेपी के लिये अभी तक मुश्किल रहा है।

केरल में मत प्रतिशत बढा
केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद स्थितियां बदली है, यही बीजेपी की उम्मीद की सबसे बड़ी वजह है, बीजेपी को 2011 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 6.03 फीसदी वोट मिले थे, 2014 लोकसभा चुनाव में बढकर 10.85 फीसदी हो गई, 2016 विधानसभा चुनाव में भी उसे 10.6 फीसदी वोट मिले, साथ ही एक सीट भी मिली, इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में स्थानीय दलों के साथ बीजेपी ने गठबंधन किया, तो एनडीए को 15.64 फीसदी वोट मिले, पार्टी के वोटों में सबसे बड़ा इजाफा 2020 के पंचायत चुनाव में हुआ, जबकि उसे 17 फीसदी वोट मिले, बीते विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को 11.30 फीसदी वोट मिले थे।

2019 में मिले थे 2 लाख से ज्यादा वोट
बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिये सबसे अच्छी बात ये थी कि इसे 5 लोकसभा क्षेत्रों में 2 लाख से ज्यादा वोट मिले थे, त्रिवेन्द्रम में तो उसके उम्मीदवार को 3 लाख से ज्यादा वोट मिले, वामपंथी दल के उम्मीदवार से आगे दूसरे नंबर पर रहा था, साथ ही बीजेपी के उम्मीदवारों को 9 लोकसभा में 1 लाख से ज्यादा वोट मिले थे, पार्टी अब 5 लोकसभा क्षेत्रों पर ज्यादा जोर लगा रहा है, जहां उसने 2 लाख से ज्यादा वोट हासिल किये थे।

ईसाई वोटरों पर नजर
सामाजिक समीकरणों में बीजेपी ईसाई वोटरों को अपने पक्ष में लाने की तैयारी कर रही है, वो चर्च के लगातार संपर्क में बनी हुई है, प्रदेश में पीएफआई एक बड़ा मुद्दा है, बीजेपी उसको उठाकर ईसाई समुदाय को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में लगी हुई है, क्योंकि पीएफआई की गतिविधियों के चलते हिंदू ही नहीं बल्कि ईसाई समुदाय की भी दिक्कतें बढी है, इसके अलावा प्रदेश में हिंदू समुदाय को बीजेपी ये समझाने की कोशिश में लगी है कि केन्द्र में मोदी सरकार के अलावा किसी और दल की सरकार बनने की फिलहाल संभावना नहीं है।

2019 में राहुल के चुनाव लड़ने से बदला माहौल
पिछले लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़ने गये थे, तो केरल में एक माहौल बना था, केरल से देश को पहला प्रधानमंत्री मिल सकता है, यही वजह है कि प्रदेश में सत्ताधारी एलडीएफ को एक सीट पर ही जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस ने 20 में से 19 सीटें जीती थी, अब माहौल बदला हुआ है, कांग्रेस से बीजेपी में आये टॉम वडक्कन के जरिये बीजेपी प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं के संपर्क में है, हाल ही में बीजेपी ने अपने वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को केरल का प्रभारी नियुक्त किया है, ताकि पार्टी की गतिविधियों को तेज किया जा सके।

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