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मुलायम के धुर विरोधी के साथ शिवपाल ने किया गठबंधन का ऐलान, सपा को दे सकते हैं बड़ा झटका

90 के दशक में डीपी यादव गाजियाबाद बुलंदशहर में राजनीति करते थे, बुलंदशहर में कांग्रेस के सईदुल हसन का सिक्का चलता था, वो मंत्री हुआ करते थे, बुलंदशहर विधानसभा सीट पर डीपी यादव ने सईदुल हसन को हराया था।

New Delhi, Sep 27 : यूपी में सियासी जमीन तलाश रहे शिवपाल यादव और राष्ट्रीय परिवर्तन दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डीपी यादव एक मंच पर दिखे, यदुकुल पुनर्जागरण मिशन की ओर कैलादेवी में आयोजित सभा में शिवपाल ने प्रसपा का डीपी यादव की पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान किया है, उन्होने इस दौरान 2003 में बसपा के 40 विधायक तोड़कर मुलायम सिंह यादव को सीएम बनाने का खुलासा किया, अपने संबोधन में शिवपाल ने कहा कि डीपी यादव और हम लोग मिल गये हैं, अब हम मिलकर रहेंगे, चाहें लोकसभा का चुनाव हो, या विधानसभा का चुनाव हो, हम लोग पूरे यूपी मिलकर लड़ेंगे, हम किसी की ताकत कम नहीं करना चाहते, हम अपनी ताकत बढाना चाहते हैं।

जीजा-साली का रिश्ता भी भूल गई
शिवपाल यादव ने कहा कि अगर हमने सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़े किये होते, तो सपा इतनी सीट नहीं जीतती, अपने रिश्ते की साली असमोली की सपा विधायक पिंकी यादव की मां पूर्व विधायक कुसुमलता यादव पर भी उन्होने तंज कसा, उन्होने कहा कि असमोली 2016 से साली-जीजा का रिश्ता भी भूल गई है।

डीपी यादव की दुश्मनी की कहानी
90 के दशक में डीपी यादव गाजियाबाद बुलंदशहर में राजनीति करते थे, बुलंदशहर में कांग्रेस के सईदुल हसन का सिक्का चलता था, वो मंत्री हुआ करते थे, बुलंदशहर विधानसभा सीट पर डीपी यादव ने सईदुल हसन को हराया था, तत्कालीन मुलायम सरकार में पंचायती राज मंत्री भी बने, इसी दौरान लोकसभा चुनाव हुआ, डीपी यादव ने बुलंदशहर के साथ संभल में मुलायम की नवगठित सपा से 1989 में चुनाव लड़कर जीत हासिल की, इस दौरान डीपी मुलायम के बीच खटास हुई, डीपी यादव ने सपा छोड़ बसपा से संभल का चुनाव लड़ा और जीत गये, बाद में डीपी ने सपा-बसपा छोड़ दी, 1998 में चौधरी नरेन्द्र सिंह की अगुवाई वाले बीजेपी समर्थित तत्कालीन गठबंधन से चुनाव लड़ा।

डीपी यादव को हराने के लिये खुद मैदान में आ गये मुलायम
डीपी यादव को हराने के लिये मुलायम खुद मैदान में आ गये, बड़ी सियासी घमासान मचा, चुनाव से एक दिन पहले यूपी बीजेपी में बगावत हुई, एक नया धड़ा बना, जगदंबिका पाल यूपी के मुख्यमंत्री बन गये, डीपी यादव के धनारी स्थित फॉर्म पर छापा पड़ा, चुनावी जंग के बावजूद 1998 में मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते, 2003 में सपा ने रामगोपाल को संभल से डीपी यादव के सामने फिर उतारा, चुनाव दिवस पर डीपी यादव पर बूथों पर कब्जे मारपीट के आरोप का सपा सरकार ने मुकदमा लिखा गया, डीपी जेल भी गये, जहां सपा सरकार ने उन पर रासुका लगाया, डीपी यादव संभल को पनी जमीनी सीट बताते रहे, वो लोगों के बीच कहते रहे, कि उनकी जमीन पर कब्जा करने मुलायम सिंह यादव आये, यहीं दुश्मनी अब तक खत्म नहीं हुई है, बाद में वो सपा में दोबारा नहीं गये, डीपी यादव फिर से सियासी जमीन तलाश रहे हैं, उन्हें साथी चाहिये, शिवपाल और डीपी का गठबंधन अब संभल में कितना प्रभावित करता है, इससे सपा पर क्या असर होगा, ये तो देखने वाली बात होगी।

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