New Delhi, Sep 29 : अकसर आपने लोगों को प्लानिंग करते देखा होगा, या खुद भी दोस्तों के साथ बातचीत में कहा होगा, कि अपना कोई काम करेंगे, कुछ नहीं तो चाय की दुकान खोल लेंगे, हालांकि ये प्लान हर कोई सच नहीं कर पाता, वो नौकरी में बिजी हो जाते हैं, आज हम आपको एक ऐसे युवा की कहानी बता रहे हैं, जिसने सिर्फ प्लान नहीं बनाया बल्कि इसे हकीकत में बदला और सफलता भी हासिल की, जी हां ये कहानी अनुभव दूबे की है, एमपी के रीवा से ताल्लुक रखने वाले अनुभव अपने दो दोस्तों आनंद नायक और राहुल के साथ मिलकर अपनी कंपनी चाय सुट्टा बार चला रहे हैं, साल 2016 में 3 लाख के निवेश से शुरु हुई इस ब्रांड का टर्नओवर आज 100 करोड़ रुपये पार कर चुका है।
सीए और यूपीएससी में असफलता
अनुभव दूबे ने बताया कि वो 8वीं के बाद अपनी स्कूली शिक्षा के लिये एमपी के रीवा से इंदौर आये, स्कूल के बाद उन्होने सीए की परीक्षा दी, लेकिन असफल रहे, 2014 में यूपीएससी की तैयारी के लिये दिल्ली आ गये,
गर्ल्स हॉस्टल के पास पहला आउटलेट
आनंद और अनुभव ने ठान लिया कि वो बिजनेस ही करेंगे, खुद पर भरोसा करके आनंद ने रिस्क लिया, 2016 में बिना घर वालों को बताया इंदौर चले गये, इंदौर में उन्होने देखा और सोचा कि वो क्या कर सकते हैं और आखिरकार चाय पर तलाश खत्म हुई, अनुभव ने बताया कि आनंद के पास 3 लाख रुपये की सेविंग्स थी, वहीं हमारी इंवेस्टमेंट थी, इतने लिमिटेड फंड थे,
बिल्कुल खिलाफ हैं सुट्टा के
बात अगर ब्रांड नेम की करें, तो अनुभव का कहना है कि उन्हें कोई अलग नाम चाहिये था, इसलिये उन्होने ये नाम रखा, लेकिन उन्होने कभी भी सिगरेट या शराब को प्रमोट नहीं किया, ना ही ऐसा कोई प्रोडक्ट आपको उनके आउटलेट्स में मिलेगा, यहां तक कि उनके आउटलेट्स में सिगरेट पीने पर मनाही है। अनुभव ने कहा कि ये उनकी मार्केटिंग एप्रोच थी, क्योंकि उनके पास मार्केटिंग पर खर्च करने के लिये पैसे नहीं थे, इसलिये उन्होने खुद ही अपने कैफे की मार्केटिंग की, उन्होने बताया कि हमने कुछ दिन अपने दोस्तों को ऐसे ही आउटलेट पर चाय पीने बुलाया, ताकि लोगों को भीड़ दिखे, फिर वो कहीं भी जाते थे, तो खुद ही तेज-तेज बातें करते कि चाय सुट्टा बार गये हो, बड़ा अच्छा कैफे है, ताकि लोगों को पता चले कि इस सबका फायदा हमें मिला। अनुभव ने कहा कि अपना बिजनेस शुरु करने के 2 महीने बाद ही मैंने दूसरा आउटलेट शुरु कर दिया, तब से लगातार उनका बिजनेस बढा है, लॉकडाउन का समय मुश्किल भरा था, लेकिन उन्होने किसी तरह मैनेज कर लिया, लेकिन अब वो अच्छा कर रहे हैं, आज उनके 195 से ज्यादा शहरों में 400 से ज्यादा आउटलेट है, भारत के अलावा उनके दुबई, नेपाल और पोर्ट ब्लेयर में भी आउटलेट हैं। सबसे खास बात ये है कि उन्होने अपने आउटलेट्स के जरिये करीब 400 कुम्हार परिवार को काम दे रखा है, उनके आउटलेट्स में चाय कुल्हड़ में मिलती है, जिसके लिये वो लगातार कुल्हड़ बनवाते हैं, जिससे 400 कुम्हार परिवारों का घर चल रहा है। बात अगर उनके आउटलेट्स में काम करने वाले स्टाफ की करें, तो दिव्यांग और जरुरतमंद लोगों को प्राथमिकता देते हैं।
फेलियर ने घबराना नहीं चाहिये
अनुभव ने कहा कि कोई भी कभी भी अपने काम की शुरुआत कर सकता है, आपको कभी भी फेलियर से घबराना नहीं चाहिये, क्योंकि फेलियर आपके पांव जमीन पर रखते हैं आपको पता होता है कि आपको अपने काम पर फोकस करना है।
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