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सजा से बचने के लिये आफताब ने चली बड़ी चाल, नार्को टेस्ट में कही ऐसी बात

अगर वो कोर्ट में आफताब पूनावाला अपनी इस ड्यूल पर्सनैलिटी या स्पिलट पर्सनैलिटी जैसी मानसिक बीमारी को साबित करने में कामयाब हो गया, तो पुलिस को उसे सजा दिलवाने में मुश्किल हो सकती है।

New Delhi, Dec 03 : श्रद्धा वालकर केस में आरोपित आफताब का पॉलीग्राफी और नार्को टेस्ट पूरा हो चुका है, लेकिन पुलिस के लिये मुश्किलें खत्म नहीं हुई है, दोनों टेस्ट में आफताब के रवैये पर विशेषज्ञों के जवाबों ने पुलिस को हैरानी में डाल दिया है, एफएसएल सूत्रों के अनुसार पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट में साइकोलॉजिकल विभाग के विशेषज्ञ को लगता है कि आफताब स्पिलट पर्सनैलिटी होने का ड्रामा कर रहा है, क्योंकि जिस तरह से उसका व्यवहार दोनों टेस्ट के दौरान रहा है, उसने उन एक्सपर्ट को भी हैरानी में डाल दिया है, सूत्रों के अनुसार पॉलीग्राफी तथा नार्को टेस्ट के दौरान जब उससे सवाल पूछे गये, तो उसने जैसे जवाब दिये, उसे देखकर लगता है कि आफताब खुद अपना पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट करवाना चाहता था।

पुलिस भी हैरान
सूत्रों के अनुसार इस केस के बारे में जब जांच अधिकारी ने एफएसएल के विशेषज्ञ से आफताब के टेस्ट के बारे में बात की, उन्होने जो जानकारी दी है, उससे पुलिस भी हैरान है, क्योंकि साइकोलॉजिकल एक्सपर्ट ने बताया कि आफताब का व्यवहार देखकर ऐसा लगता है कि उसके अंदर दो अलग-अलग तरह के लोग हैं, इसे साइकोलॉजिकल की भाषा में स्पिलिट पर्सनालिटी या ड्यूल पर्सनालिटी डिसऑर्डर कहा जाता है, इसकी सबसे बड़ी वजह है आफताब के अंदर होने वाला अचानक से बदलाव, सवाल पूछने पर वो कभी श्रद्धा से बहुत प्यार करने की बात करता है, उसकी हत्या के बारे में पूछने पर वो उससे नफरत करने की बात बोलकर, कोई पछतावा ना होने की बात स्वीकारता है।

साबित हो गई बीमारी तो नहीं हो होगी सजा!
पुलिस सूत्रों के अनुसार आफताब का यही व्यवहार उनके लिये सबसे बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है, क्योंकि जिस तरीके से वो पुलिस को अपनी कहानी पर घूमा रहा है, उसके बाद अगर वो कोर्ट में अपनी इस ड्यूल पर्सनैलिटी या स्पिलट पर्सनैलिटी जैसी मानसिक बीमारी को साबित करने में कामयाब हो गया, तो पुलिस को उसे सजा दिलवाने में मुश्किल हो सकती है, कानून के जानकारों का मानना है कि इस तरह की मानसिक बीमारी साबित होने पर आरोपित को सजा नहीं दी जा सकती।

डॉक्टर गर्लफ्रेंड साजिश का हिस्सा तो नहीं
क्या श्रद्धा की हत्या करने के बाद स्पिलट पर्सनैलिटी का ड्रामा करने के लिये आफताब ने हत्या के 12 दिन बाद बंबल ऐप्प के जरिये एक मनोचिकित्सक डॉक्टर को अपने प्यार के जाल में फंसाया था, जिससे वो कोर्ट में ये साबित कर सके, कि उसने अपने इलाज के लिये भी उससे संपर्क किया था, उसके बयान के आधार पर ये साबित किया जा सके, कि वो एक दम नार्मल इंसान था, वो कबी किसी की हत्या बेरहमी से नहीं कर सकता, फिलहाल पुलिस के साथ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के अलावा दूसरा कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे आफताब को फांसी की सजा दिलाया जा सके।

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