New Delhi, Mar 03 : पूर्वोत्तर के 3 राज्यों के चुनाव नतीजों से बीजेपी गदगद है, नागालैंड में वो आसानी से सरकार बना लेगी, मेघालय में एनपीपी से हाथ मिला कर सत्ता पा सकती है, वहीं त्रिपुरा में पार्टी ने शानदार जीत हासिल करते हुए दोबारा सत्ता में वापसी की है, त्रिपुरा की जीत बीजेपी के लिये इस लिहाज से भी काफी शानदार कि है कि पार्टी को हराने के लिये कांग्रेस तथा लेफ्ट ने अपने तमाम मतभेद मिटाते हुए हाथ मिला लिया था, हालांकि लेफ्ट-कांग्रेस की एकता भी बीजेपी को सत्ता में आने से नहीं रोक पाई।
बीजेपी को कामयाबी
पूर्वोत्तर में बीजेपी की कामयाबी किसी करिश्मे से कम नहीं है, पूर्वोत्तर कभी कांग्रेस तथा लेफ्ट का गढ हुआ करता था, लेकिन वहां का राजनीतिक गणित अब पूरी तरह से बदल चुका है, 2016 से पहले बीजेपी एक भी पूर्वोत्तर राज्य में सरकार नहीं बना पाई थी, सिर्फ 2003 में अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर,
पूर्वोत्तर के लिये अलग रणनीति
बीजेपी ने पूर्वोत्तर में पार्टी लाइन से हटकर रणनीति अपनाई, उन्होने वहां स्थानॉय मुद्दों तथा क्षेत्रीय नेताओं को प्राथमिकता दी, नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का गठन भी खास रणनीति के तहत किया गया, इस गठबंधन का मकसद पूर्वोत्तर को कांग्रेस मुक्त करना था।
दूसरी पार्टी के नेताओं को शामिल किया
पर्टी ने दूसरी पार्टी के प्रभावशाली नेताओं को अपने साथ मिलाया, असम में हिमंत बिस्व सरमा जो कभी कांग्रेस में बड़े पद पर थे, आज बीजेपी के लिये उस क्षेत्र के बड़े चेहरे बन गये हैं, बीजेपी ने पूर्वोत्तर में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिये करीब 10 राजनीतिक दलों के साथ हाथ मिलाया। बीजेपी 2016 में अरुणाचल में सरकार बनाने में सफल रही, दरअसल बीजेपी ने प्रदेश के 43 कांग्रेसी विधायकों को तोड़ लिया, ये सभी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल का हिस्सा बन गये, पीपीए एनडीए की सहयोगी पार्टी है। 2017 में बीजेपी नेशनल पीपुलिस पार्टी तथा नगा पीपुल्स फ्रंट के साथ गठबंधन कर मणिपुर में भी सरकार बनाने में सफलता हासिल की, 2018 में बीजेपी को 3 राज्यों में कामयाबी मिली। पार्टी एनडीपीपी के साथ मिलकर नागालैंड में सत्ता में आई, डिजिन्स पीपुलिस फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ मिलकर त्रिपुरा जीत लिया, मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट के साथ मिलकर सरकार बना ली। बीजेपी की कामयाबी आगे भी जारी रही, 2022 में बीजेपी मणिपुर में और इसके करीब एक साल पहले असम में सत्ता में वापसी करने में सफल रही। दूसरी ओर जैसे-जैसे बीजेपी पूर्वोत्तर में अपने कदम मजबूती से आगे बढा रही है, वैसे-वैसे केन्द्र सरकार नॉर्थ ईस्ट में लगातार बड़ी योजनाओं पर काम कर रही है, 2014 के बाद से पूर्वोत्तर के विकास के लिये केन्द्र की फंडिंग बढ गई है।
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