कभी भरपेट भोजन के लिये तरसते थे नाटु नाटु… के कोरियोग्राफर, दिलचस्प है सक्सेस स्टोरी

कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित ने अपना बचपन काफी संघर्ष में बिताया है, हालात ऐसे हो गये थे कि प्रेम जान देने की सोचने लगे थे, उनकी कहानी सुनने के बाद आपको यही लगेगा कि मुश्किलें कितनी भी आये, अगर हिम्मत और हौसला कायम रखें।

New Delhi, Mar 21 : एसएस राजामौली के निर्देशन में बनी आरआरआर फिल्म के गीत नाटु नाटु पर देश ही नहीं विदेश में भी लोग थिरक रहे हैं, 95वें अकादमी पुरस्कारों में बेस्ट मूल गीत का ऑस्कर अवॉर्ड जीतने वाले इस गाने को संगीत एमएम कीरावानी ने दिया है, गीतकास चंद्रबोस हैं, इसे गाया काल भैरव ऐर राहुल सिप्लीगुंज ने है, तो कोरियोगर्फी प्रेम रक्षित ने किया है, राम चरण-जूनियर एनटीआर को शानदार डांस करने के लिये काफी सराहा जा रहा है, प्रेम रक्षित ने इनसे इतने यूनिक हुक-स्टेप्स करवाये हैं, कि ना चाहते हुए कदम थिरकने लगते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी प्रेम के घर भरपेट भोजन लायक भी अनाज नहीं होता था।

संघर्ष में बीता बचपन
कोरियोग्राफर प्रेम रक्षित ने अपना बचपन काफी संघर्ष में बिताया है, हालात ऐसे हो गये थे कि प्रेम जान देने की सोचने लगे थे, उनकी कहानी सुनने के बाद आपको यही लगेगा कि मुश्किलें कितनी भी आये, अगर हिम्मत और हौसला कायम रखें, तो बुरा वक्त अच्छे में बदलता ही है, प्रेम ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन उनके काम की चर्चा ग्लोबल लेवल पर होगी।

2 दिन से बिन खाये तड़प रहा था भाई
दैनिक भास्कर से बात करते हुए प्रेम रक्षित ने बताया मैंने मुश्किल से 10वीं पास की, टेलर के यहां काम करने लगा, 1994 की बात है, एक दिन जब मैं घर लौटा, तो मेरा छोटा भाई, जो बोल और सुन नहीं सकता था, उसे पेट में भयानक दर्द हो रहा था, वो तड़प रह था, मां ने बताया कि 2 दिन से कुछ नहीं खाया है, मां के पास एक छोटी सी चांदी की कुमकुम की डिब्बी थी, उसे लेकर मैं पास की दवा के दुकान पर गया, तो उसने कहा डिब्बी रखो और 20 रुपये दे दिये, उसी 20 रुपये से चावल खरीद कर लाया, फिर हम सबने चावल खाया।

जिंदगी से परेशान हो गये थे रक्षित
प्रेम रक्षित ने बताया अगला दिन गुरुवार था, मैं साईं बाबा के मंदिर गया, आर्थिक तंगी से परेशान मैं मंदिर से बाहर निकला, जान देने की सोचने लगा, उधार की साइकिल ले कर मरीना बीच पर निकल पड़ा, फिर सोचा जिसकी साइकिल है, वो परेशान हो जाएगा, यही सोच अपने पिता के पास साइकिल देने गया, जैसे ही मुड़ा तो पिता ने आवाज दी, और कहा कि मुझे बतौर ऑर्केस्ट्रा डांसर काम मिल गया है, उस समय मेरे दिल में एक ही बात गूंज रही थी श्रद्धा सबुरी। आपको बता दें कि प्रेम रक्षित ने डांस सीखा, कोरियोग्राफर बने, पैसों के खातिर राजामौली और किरवानी के बच्चों को डांस भी सिखाया, आज सफल कोरियोग्राफर में उनकी गिनती होती हैं, हालांकि वो बुरे वक्त को नहीं भूले हैं, सड़क किनारे टैलेंटेड डांसर्स को भी मौका देते हैं।

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