सचिन तेंदुलकर की ‘वजह’ से टीम इंडिया का कप्तान नहीं बन पाये युवराज सिंह, खुद बयां किया था ‘दर्द’

युवराज सिंह भले ही टीम इंडिया के कप्तान ना बन पाये हों, लेकिन उन्होने भारतीय फैंस को गर्व के कई पल दिये हैं, उन्होने 2007 टी-20 और 2011 आईसीसी वनडे विश्वकप जीत में बड़ी भूमिका निभाई।

New Delhi, May 04 : युवराज सिंह ने टीम इंडिया को 2007 टी-20 तथा 2011 आईसीसी वनडे विश्वकप जिताने में बड़ी भूमिका निभाई थी, वैसे तो युवी का क्रिकेटर करियर चमकदार रहा है, लेकिन उन्हें हमेशा इस बात का मलाल रहेगा, कि वो टीम इंडिया के कप्तान नहीं बन पाये, सचिन तेंदुलकर की एक चूक के कारण युवराज के हाथ से टीम इंडिया का कप्तान बनने का मौका फिसल गया, उनका दिल टूट गया।

सचिन की वजह से नहीं बन पाये कप्तान
युवराज सिंह एक वक्त पर अपने बेहतरीन फॉर्म की वजह से टीम इंडिया की कप्तानी के सबसे बड़े दावेदार माने जाते थे,  खुद युवराज ने एक बार चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा था कि आखिर किस तरह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की वजह से उनके हाथ से कप्तान बनने का मौका निकल गया।

युवी के हाथ से निकला कप्तान बनने का मौका
युवराज सिंह ने पिछले साल स्पोर्ट्स 18 पर एक इंटरव्यू के दौरान संजय मांजरेकर के सामने खुद को कप्तानी नहीं मिलने की बड़ी वजह का खुलासा किया था, उन्होने बताया ग्रेग चैपल विवाद में सचिन तेंदुलकर का साथ देने की वजह से उन्हें टीम इंडिया की कप्तानी नहीं मिल पाई, बीसीसीआई के कुछ अधिकारियों को युवराज सिंह की ये बात पसंद नहीं आई, इसके अलावा उन्हें उपकप्तानी से भी हाथ धोना पड़ा।

युवराज का बड़ा खुलासा
युवराज सिंह ने कहा मैं कप्तान बनना चाहता था, फिर ग्रेग चैपल और सचिन तेंदुलकर के बीच विवाद हुआ, जिसमें मैंने सचिन पाजी का साथ दिया, बीसीसीआई के कुछ अधिकारियों को ये बात पसंद नहीं आई, मैंने ऐसा सुना था कि वो किसी को भी कप्तान बनाने के लिये तैयार हैं लेकिन मुझे नहीं, 2007 इंग्लैंड दौरे पर वीरेन्द्र सहवाग जैसे सीनियर खिलाड़ी टीम में नहीं थे, मैं उस दौरान वनडे टीम का उपकप्तान था, राहुल द्रविड़ कप्तान थे, वनडे टीम का उपकप्तान होने के नाते मुझे लगा कि मैं कप्तान बनने वाला हूं, लेकिन अचानक मुझे उपकप्तानी से भी हटा दिया गया, 2007 टी-20 विश्वकप के लिये अचानक महेन्द्र सिंह धोनी को कप्तान बना दिया गया। युवी ने आगे बताया भले ही ये फैसला मेरे खिलाफ गया हो, लेकिन मुझे इसका कोई अफसोस नहीं है, आज भी अगर ऐसे हालात होते, तो मैं अपनी टीम के सीनियर खिलाड़ी के साथ खड़ा होता। आपको बता दें कि युवराज सिंह भले ही टीम इंडिया के कप्तान ना बन पाये हों, लेकिन उन्होने भारतीय फैंस को गर्व के कई पल दिये हैं, उन्होने 2007 टी-20 और 2011 आईसीसी वनडे विश्वकप जीत में बड़ी भूमिका निभाई।

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