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लाल बहादुर शास्त्री ही नहीं, बल्कि ये रेल मंत्री भी हादसे के बाद दे चुके हैं इस्तीफा

अगस्त 1956 में आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में एक बड़ी रेल दुर्घटना हुई, जिसमें 112 लोगों की मौत हो गई थी, मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपना इस्तीफा पीएम जवाहर लाल नेहरु को सौंप दिया था।

New Delhi, Jun 05 : देश में हर रेल हादसे के बाद नैतिकता के आधार पर रेल मंत्री से इस्तीफे की मांग विपक्ष करता है, देश के इतिहास में रेल हादसे की वजह से आज तक सिर्फ 2 रेल मंत्रियों ने ही अपने पद से इस्तीफे दिये हैं, जिसमें एक नाम पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का है, तो दूसरे बिहार के सीएम नीतीश कुमार थे।

शास्त्री जी ने दिया था इस्तीफा
अगस्त 1956 में आंध्र प्रदेश के महबूबनगर में एक बड़ी रेल दुर्घटना हुई, जिसमें 112 लोगों की मौत हो गई थी, एक्सीडेंट की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपना इस्तीफा पीएम जवाहर लाल नेहरु को सौंप दिया था, लेकिन नेहरु ने शास्त्री को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिये मना लिया था। कुछ महीने बाद नवंबर 1956 में तमिलनाडु के अरियालुर में एक और रेल दुर्घटना हुई, इस त्रासदी में 144 लोगों की जान गई, शास्त्री जी तुरंत अपना इस्तीफा पीएम को सौंप दिया, साथ ही इसे स्वीकार करने की गुहार लगाई।

30 सांसदों ने इस्तीफा स्वीकार ना करने का आग्रह किया
शास्त्री जी के इस्तीफे ने देशवासियों का ध्यान खींचा, जब ये पता चला कि पीएम नेहरु इस्तीफा स्वीकार करने के इच्छुक हैं, तो 30 सांसदों ने पीएम ने इस्तीफा स्वीकार ना करने की अपील की, उनका विचार था कि शास्त्री जी को इस्तीफे की पेशकश के लिये सराहना की जानी चाहिये, उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिये, क्योंकि वो दुर्घटना के लिये व्यक्तिगत रुप से जिम्मेदार नहीं थे, दुर्घटना तकनीकी खराबी की वजह से हुई थी, जिसकी जिम्मेदारी रेलवे बोर्ड को लेनी चाहिये। सांसद स्पष्ट थे कि दोष नौकरशाही को लेना चाहिये, ना कि राजनीतिक कार्यपालिका को, हालांकि नेहरु ने शास्त्री का इस्तीफा स्वीकृति के लिये राष्ट्रपति को भेज दिया, शास्त्री को नेहरु द्वारा सर्वोच्च सत्यनिष्ठ व्यक्ति के रुप में प्रतिष्ठित किया गया था, बाद में वो देश के दूसरे प्रधानमंत्री बनें।

नीतीश ने भी दिया था इस्तीफा
बिहार के सीएम तथा जदयू नेता नीतीश कुमार ने अगस्त 1999 में असम में गैसल ट्रेन दुर्घटना के बाद रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, इस दुर्घटना में 290 लोगों की मौत हो गई थी, तत्कालीन समता पार्टी के हिस्से से नीतीश कुमार ने 19 मार्च 1998 से 5 अगस्त 1999 तक केन्द्रीय रेल मंत्री के रुप में काम किया था। पश्चिम बंगाल की मौजूदा सीएम तथा टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने साल 2000 में दो ट्रेनों के एक्सीडेंट के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री का अपना पद छोड़ दिया था, हालांकि ममता दीदी का इस्तीफा तत्कालीन पीएम अटल जी ने स्वीकार नहीं किय था, एनडीए सरकार में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2017 में कुछ दिनों के अंतराल में हुए दो रेल हादसों के बाद अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी, लेकिन पीएम मोदी ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। हालांकि इसके एक महीने बाद सितंबर में कैबिनेट विस्तार हुआ, पीयूष गोयल को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।

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