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राम रहीम और राजनीति, अब सियासत में भूचाल मचना तय है !

बाबा राम रहीम और सियासत का एक दूसरे से बड़ा नाता है। तो अब बड़ा सवाल ये है कि देश की सियासत पर इस बड़े फैसले का क्या असर पड़ने वाला है।

New Delhi, Aug 25 : साध्वी यौन शोषण के केस में बाबा राम रहीम को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। इसके बाद से कई खबरें निकलकर सामने आ रही हैं कहीं हिंसा, कहीं आगजनी, कहीं मौत की खबरें निकलकर सामने आ रही हैं। लेकिन इन सबसे बीच एक सबसे बड़ा सवाल ये है कि बाबा को दोषी करार देने से सियासत पर क्या असर पड़ने वाला है। इस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि बाबा पर फैसले के बाद हरियाणा और पंजाब में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। हालांकि नए समीकरण क्या होंगे ये सजा पर निर्भर करता है। कोर्ट के फैसले को लेकर देश भर के तमाम राजनीतिक दल क्या कहते हैं, इसका असर जरूर पड़ेगा।

हालांकि अब तक इस बारे में किसी नेता की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। लग रहा है कि शायद ही कोई इस बारे में अपना बयान देगा। खैर इतना जरूर है कि फैसले के बाद हरियाणा और पंजाब में राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। अब आपको कुछ बातें बताते हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ये सच है कि हरियाणा और पंजाब के तमाम बड़े राजनीतिक दल नेता डेरा प्रमुख से आशीर्वाद लेते रहे हैं। ये भी सच है कि डेरा प्रमुख के आशीर्वाद से कई दलों की सरकारें भी इन राज्यों में बनी हैं। इसलिए डेरा प्रमुख के सजा होने के हालात में कोई भी दल खुलकर इस बात का श्रेय नहीं ले पाएगा। इसके अलावा भी कुछ और बातें है, जिनके बारे में आपका जानना जरूरी है।

अगर बाबा को कोर्ट बरी भी करती है, तो भी कोई भी राजनीतिक दल खुले तौर पर इसका श्रेय नहीं ले सकता कि उसने कोर्ट को मैनेज किया है। हिंदुस्तान की न्यायपालिका स्वतंत्र है। ऐसे में मु्श्किल ही लगता है कि कोई राजनीतिक दल इस बारे में कुछ कहेगा। एक्सपर्ट्स कहते हैं इस वक्त लोकतंत्र के लिए ये भयावह स्थिति है। इस बारे में कुछ बोलने से कोई दल थोड़े से वक्त के लिए फायदा तो उठा सकता है लेकिन आने वाले वक्त के लिए ये नुकसानदायक साबित हो सकता है। एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि सरकार की ही तरफ से कुछ गलत पॉलिसी अपनाई जाती है, जिस वजह से लोग डेरों और इस तरह के आश्रमों में शरण लेते हैं।

ये डेरे और आश्रम ही इन लोगों की पढाई, शादी, रोजगार का खर्चा वहन करते हैं। जाहिर सी बात है कि अगर ये काम सरकारें ठीक से करने लगें तो कोई भी इस तरह से डेरों और आश्रमों की शरण नहीं लेगा। हैरानी की बात तो ये है कि डेरा प्रमुख कभी किसी राजनेता या राजनीतिक दल के पास नहीं गए, बल्कि नेता और दल ही उनके पास आते हैं। इससे डेरा समर्थकों के वोट उनके पक्ष में चले जाते हैं। ऐसे में सोचने की बात ये है कि क्या बाबा राम रहीम पर सुनाया गया फैसला देश में बड़ा राजनीतिक भूचाल भी ला सकता है ? देखना है कि इस खेल में आगे कैसा राजनीतिक पासा फेंका जाता है।

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