New Delhi Jan 17 : आतंकवाद कभी अच्छा नहीं हो सकता। वो सिर्फ और सिर्फ बुरा ही हो सकता है। वो सिर्फ बुरा ही कर सकता है। फिर भी पाकिस्तान आतंकवाद को अच्छे और बुरे नजरिए से देखता है। लेकिन, अब जब उस ही इसकी गाज गिरनी शुरु हो गई तो उसे भी आतंकवाद में बुराई नजर आने लगी है। पाकिस्तान के 1800 मौलवियों ने एक साथ सुसाइड अटैक के खिलाफ फतवा जारी किया है। पाकिस्तान के मौलवियों ने सुसाइड अटैक को हराम करार दिया है। इस संबंध में पाकिस्तान की सरकार ने एक किताब भी जारी की है। इसी किताब के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान के मौलवियों ने भी सुसाइड अटैक को गैर-इस्लामिक माना है। पाकिस्तान के मौलवियों का कहना है कि आत्मघाती बम धमाके करना इस्लाम में हराम है। इसकी इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है। इससे आम जनता को बड़ा नुकसान पहुंचता है।
दरअसल, पिछले कई सालों से साउथ एशिया के देश इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं। कट्टरपंथी विचारधारा वाले आतंकी संगठन साउथ एशिया के कई देशों में सुसाइड अटैक करा कर हिंसा फैलाने का काम कर रहे हैं। इस तरह के आतंकी संगठन पूरी दुनिया में इस्लामिक शासन लागू करना चाहते हैं। इसके लिए ये लोग इस युद्ध को इस्लाम में पवित्र बताते हैं। जबकि पाकिस्तान के मौलावियों का कहना है कि कट्टरपंथियों की ये सोच पूरी तरह अनैतिक है। सुसाइड अटैक में आम लोगों की जान जाती है। जबकि आतंकी संगठन सुसाइड अटैक को अपना सबसे प्रभावशाली हथियार मानते हैं। लेकिन, अब पाकिस्तान के 1800 इस्लामिक धर्मगुरुओं ने आत्मघाती बम धमाकों इस्लाम के खिलाफ माना है। सुसाइड अटैक को हराम करार दिया गया है। पाकिस्तान सरकार ने फतवे की जिस किताब का विमोचन किया है उसमें पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने भी इस अपनी राय व्यक्त की है।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने इस किताब में लिखा है कि फतवा एक उदार इस्लामिक समाज की स्थिरता का मजबूत आधार स्थापित करने के लिए है। जिससे सीख लेते हुए हम आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने लिखा है कि विदेशी और स्थानीय लोग हम पर आरोप लगाते हैं कि पाकिस्तान की सरकार और पाक आर्मी अपने निजी फायदे के लिए आतंकी संगठनों को संरक्षण दे रही है। जबकि हकीकत ये है कि आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित खुद पाकिस्तान ही है। उनका कहना है कि लोगों को देश की मस्जिदों से होने वाली तकरीरों में भी नफरत नजर आती है। बताया जा रहा है कि इस तरह का फतवा मिडिल ईस्ट में भी जारी हो चुका है। जहां आईएसआईएस के आतंकी लोगों को अपना निशाना बनाते थे। पाकिस्तान के मौलवियों का कहना है कि किसी भी व्यक्ति या समूह को इस्लाम के नाम पर जेहाद फैलाने की इजातत नहीं है।
पाकिस्तान के 1800 मौलवी मानते हैं कि सुसाइड अटैक इस्लामिक तालीम के खिलाफ है। जिस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। सुसाइड अटैक के खिलाफ फतवा जारी करने वाली इस किताब को इंटरनेशल इस्लामिक यूनिवर्सिटी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने लिखा है। अभी मंगलवार को ही इस्लामाबाद में इस किताब का विमोचन किया गया। पाकिस्तान के 1800 मौलवियों की बात कितने आतंकी संगठनों को समझ में आती है ये देखना काफी दिलचस्प होगा। क्योंकि जितने भी आतंकी संगठन इस वक्त पाकिस्तान में संरक्षण लिए हुए हैं सभी के पास अपने-अपने सुसाइड बॉम्बर के दस्ते मौजूद हैं। जिनका इस्तेमाल ये आतंकी संगठन अपनी सहूलियत के हिसाब से कहीं भी कभी भी करा देते हैं। हाल के दिनों में पाकिस्तान में ही कई आत्मघाती हमले हो चुके हैं। जिसमें सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। दुनियाभर में सुसाइड अटैक का सिलसिला दशकों से चला आ रहा है। साल 2000 के बाद इसमें काफी तेजी से इजाफा हुआ है।
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