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अचानक ‘देशभक्‍त’ कैसे हो गए फारुख अब्‍दुल्‍ला ? साजिश है या होश ठिकाने आए ?

हमेशा विवादित और पाकिस्‍तान के फेवर में बयान देकर सुर्खियों में रहने वाले फारुख अब्‍दुल्‍ला की भाषा अब बदल गई है। जानिए आखिर ऐसा क्‍यों हुआ ?

New Delhi Feb 13 : जम्‍मू-कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारुख अब्‍दुल्‍ला वैसे तो किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। लेकिन, फिर भी इनका तारुक कराना बेहद जरूरी है। क्‍योंकि नेता जी आए दिन अपने बयानों को लेकर विवादों में रहते हैं। अकसर फारुख अब्‍दुल्‍ला के बयान पाकिस्‍तान के समर्थन में होते हैं। वो कभी कहते हैं कि पाकिस्‍तान ने चूडि़या नहीं पहनी हुईं हैं तो कभी कहते हैं कि पाक के कब्‍जे वाला कश्‍मीर उसी का है। लेकिन, जम्‍मू के सुंजवान आर्मी कैंप पर हमले के बाद अब फारुख अब्‍दुल्‍ला की भाषा ही बदल गई है। फारुख अब देशभक्ति की भाषा बोलने लगे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतना बड़ा परिवर्तन उनके भीतर आया तो आया कैसे। या फिर इसके पीछे भी उनकी कोई सियासी चाल छिपी हुई है। बहरहाल, हकीकत क्‍या है ये बात तो खुद फारुख अब्‍दुल्‍ला ही बेहतर बता सकते हैं। जो सच बात कभी नहीं बताएंगे। लेकिन, उनके देशभक्ति का आकलन जरुर किया जा सकता है।

पहले हम आपको ये बताते हैं कि आखिर फारुख अब्‍दुल्‍ला ने सुंजवान हमले के बाद कहा क्‍या। सोमवार को उनका बयान सामने आया कि उनका कहना है कि जितना आतंकवाद बढ़ेगा, उतनी मुसीबत बढ़ेगी। ये मुसीबत पाकिस्‍तान के लिए ज्‍यादा बढ़ेगी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हिंदुस्‍तान की सरकार को भी सोचना होगा कि उनका अगला कदम क्‍या होगा। यानी फारुख अब्‍दुल्‍ला के तेवर काफी गरम हैं। इससे पहले रविवार को उन्‍होंने कहा था कि कश्‍मीर हिंदुस्‍तान का हिस्‍सा है। दुनिया की कोई भी ताकत हमें यहां से बाहर नहीं कर सकती है और ना ही कश्‍मीर छीन सकती है। सवाल ये है कि फारुख अब्‍दुल्‍ला के ये तेवर क्‍या सिर्फ दिखाने भर के हैं। क्‍यों कि शनिवार को जब लश्‍कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने जम्‍मू के सुंजवान आर्मी कैंप पर हमला किया था उस वक्‍त जम्‍मू-कश्‍मीर की विधानसभा के भीतर पाकिस्‍तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए थे।

ये नारे किसी और ने नहीं बल्कि फारुख अब्‍दुल्‍ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के ही विधायक अकबर लोन ने विधानसभा के भीतर लगाए थे। खास बात ये है कि पार्टी ने अकबर लोन के इस बयान से खुद को अलग तो कर लिया लेकिन, अब तक उसके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में कैसे मान लिया जाए कि फारुख अब्‍दुल्‍ला का ह्दय परिवर्तन हो गया है। हो सकता है कि फारुख अब्‍दुल्‍ला के इस बयान के पीछे भी कोई सियासी षणयंत्र हो। अगर ऐसा नहीं होता तो फारुख कब का अकबर लोन पर कार्रवाई कर चुके होते। उन्‍हें पार्टी से निकाला जा सकता था, सस्‍पेंड किया जा सकता था। लेकिन, कुछ भी नहीं किया गया। कहा तो ये भी जा रहा है कि फारुख अब्‍दुल्‍ला को पता है कि इस वक्‍त कश्‍मीर समेत पूरे देश में पाकिस्‍तान के खिलाफ काफी गुस्‍सा है। ऐसे में उनके पाकिस्‍तानी प्रेम का बयान उन्‍हें बहुत भारी पड़ सकता है। अपनी राजनीति बचाने के चक्‍कर में ही उन्‍होंने अपनी भाषा बदली है।

सुंजवान हमले में एक बात और भी गौर करने वाली है। इस हमले में जो पांच जवान शहीद हुए हैं उसमें ज्‍यादा मुस्लिम हैं। जिन्‍होंने देश की खातिर अपनी जान कुर्बान करने में तनिक भी वक्‍त नहीं लगाया। इसमें से अधिकतर जम्‍मू-कश्‍मीर के ही रहने वाले थे। माना जा रहा है कि फारुख अब्‍दुल्‍ला को इस बात का भी डर होगा कि ऐसे में उनका कोई गलत बयान उनके लिए भारी विरोध का कारण बन सकता है। शायद यही वजह है कि कहा जा रहा है कि फारुख ने बहुत ही सोच समझकर ये बयान दिया है। वो भी अपनी राजनी‍ति को ध्‍यान में रखकर। सुंजवान हमले में कौन-कौन शहीद हुए हैं जरा उनके बारे में भी जान लीजिए। इस हमले में सूबेदार मदनलाल चौधरी, सूबेदार मोहम्मद अशरफ मीर, हवलदार हबीबुल्लाह कुरैशी, नायक मंजूर अहमद, लांस नायक मोहम्मद इकबाल शहीद हुए हैं। इसके साथ ही लांस नायक मो. इकबाल के पिता भी इस हमले में मारे गए हैं।

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