New Delhi, Feb 25 : सुबह की उजास आज उदासी की काली चादर ओढ़ कर आई। ऐसा इसलिए नहीं था की बादल उमड़ – घुमड़ रहे थे, उजाला इसलिए पार्श्व में हो लिया था क्योंकि एक मनहूस ख़बर दबे पाँव इसकी पीठ पर सवार थी । ऐसी ख़बर जो भरोसे के क़ाबिल नहीं , ऐसी ख़बर जिसे कोई सुनना न चाहे , ऐसी ख़बर जो श्रीदेवी के असमय परलोक गमन की सूचना लिए हुए थी ।
हमारी पीढ़ी की जवानी का ख़ुमार उनकी फ़िल्मों से जुड़ा हुआ था ।
उनका जाना भारतीय सिने जगत की चाँदनी का स्थायी पराभव है ।
श्री ऐसे नाउम्मीद करेंगी जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी ।
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