अगर कांग्रेस या भाजपा में किसी भी राष्ट्रीय दल को कर्नाटक में अपने बल पर बहुमत नहीं मिला तो भारतीय जनता पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री की पार्टी के सहयोग से सरकार बनाना चाहेगी।

New Delhi, May 10 : दक्षिण के बेहद महत्वपूर्ण सूबे-कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को एक समय के ‘विनम्र किसान’ एच डी देवगौड़ा इस वक्त और भी अच्छे लग रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने अपने आपको जब ‘विनम्र किसान’ कहा, तब भाजपा नेताओं ने उनका मजाक उड़ाय़ा था। लेकिन आज भाजपा को देवगौड़ा में बड़ी संभावना नजर आ रही है। अगर कांग्रेस या भाजपा में किसी भी राष्ट्रीय दल को कर्नाटक में अपने बल पर बहुमत नहीं मिला तो भारतीय जनता पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री की पार्टी के सहयोग से सरकार बनाना चाहेगी। इसके लिए वह देवगौड़ा के पुत्र और राज्य़ के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को भी मुख्य़मंत्री के रूप में स्वीकार कर सकती है। अतीत में कुमारस्वामी एक बार भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

सवाल है, क्या देवगौड़ा की पार्टी जेडी(एस) इतनी सीटें जीत सकेगी कि वह भाजपा से मुख्यमंत्री पद के लिए मोलतोल करे! कर्नाटक राजनीति के गंभीर प्रेक्षकों का मानना है कि जनता दल(एस) ने अगर 25 से कुछ अधिक सीटें हासिल करने में कामयाब हुई तो वह चुनाव के बाद भाजपा से अपनी शर्तों पर बात करेगी, बशर्ते कि कांग्रेस को अपने बल पर बहुमत न मिले! मौजूदा चुनावी समीकरण से एक बात साफ है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की अथक कोशिशों के बावजूद भाजपा राज्यव्यापी स्तर पर मतदाताओं के बीच बड़ा असर छोड़ने में नाकाम नजर आ रही है। निश्चय ही, वह कुछ समुद्रतटीय जिलों और महाराष्ट्र से लगे इलाकों में अच्छी सफलता की आस लगाये है लेकिन पूरे राज्य में उसके सितारे उतने बुलंद नजर नहीं आते। इसकी सबसे बड़ी वजह है, कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की कुछ असरदार कल्याणकारी योजनाएं। राज्य के सभी इलाकों में उनकी ‘भाग्या’ योजना का असर साफ दिखता है।

अगर लिंगायतों के भाजपा-समर्थन में थोड़ी भी कमी आई, जिसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता तो कांग्रेस के लिए कर्नाटक की सत्ता में वापसी आसान हो जायेगी। पहले के मुकाबले लिंगायतों में कांग्रेस के प्रति रूझान बढ़ा है। येदिरप्पा के चलते वे अब भी भाजपा के साथ नजर आते हैं पर उनमें विभाजन साफ दिख रहा है। लिंगायतों को अलग अल्पसंख्यक धार्मिक पहचान देने के सिद्दारमैया सरकार के फैसले के चलते वे कांग्रेस के प्रति पहले की तरह अनुदार नहीं हैं। अगर उनके वोटों में कांग्रेस ने हिस्सा बढ़ाया तो भाजपा के लिए यह सबसे बुरी खबर होगी!

जहां तक चुनाव-पूर्व टीवी सर्वेक्षणों का सवाल है, वे यदा-कदा ही सच साबित होते हैं। ज्यादातर गलत होने के लिए मानो अभिशप्त हैैं। इस बार के सर्वेक्षणों की एक विशेषता लगभग सबमें कामन है। वह ये कि कोई भी सर्वेक्षण भारतीय जनता पार्टी को बहुमत देने को तैयार नहीं दिखता! ज्य़ादातर सर्वेक्षण त्रिशंकु विधानसभा दर्शा रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो देवगौड़ा ‘किंगमेकर’ साबित होंगे! उनके बेटे कुमारस्वामी की पूरी कोशिश होगी, मोलतोल करके किसी न किसी तरह ‘किंग’ बनने की! फिलहाल, कांग्रेस के सिद्दारमैया दोनों खेमों पर भारी पड़ रहे हैं!

(वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश के ब्लॉग से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)