New Delhi, May 18 : आपको 90 के दशक में रिलीज फिल्म का वो गाना जरुर सुना होगा, जिसके बोल थे, वो सिकंदर ही कहलाता है, हारी बाजी को जीतना जिसे आता है, ये लाइनें कर्नाटक के सीएम पद के रेस में डीके शिवकुमार पर भारी पड़े सिद्दारमैया पर एकदम सटीक बैठती है, जो अपने सियासी हुनर से एक बार फिर से सीएम बनने जा रहे हैं, सिद्दारमैया को कर्नाटक की राजनीति का जादूगर यूं ही नहीं कहा जाता, आज उनकी सियासत से जुड़ा बड़ा किस्सा आपको बताते हैं, जब वो वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भारी पड़े थे।
कर्नाटक की सियासत के जागदूर
जैसे अशोक गहलोत को राजस्थान की सियासत का जादूगर कहा जाता है, कुछ वैसी ही काबिलियत तथा हैसियत सिद्धारमैया भी कर्नाटक में रखते हैं,
सिद्दारमैया का सियासी सफर
सिद्दारमैया अपने टारगेट सीएम पद हासिल करने से पहले रुके नहीं, पहले लोकदल, फिर जनता दल, फिर जेडीएस उसके बाद कांग्रेस हर दल में रहते हुए सिद्दारमैया अच्छे-अच्छों पर भारी पड़े,
खरगे के साथ कर दिया था खेल
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले मल्लिकार्जुन खरगे 2013 विधानसभा चुनाव के बाद कर्नाटक में सीएम बनने वाले थे, लेकिन तब बात 7 साल पहले एचडी देवेगौड़ा की पार्टी से निकाले गये सिद्दारमैया ने उनके आगे से सीएम की कुर्सी गायब करते हुए खुद मुख्यमंत्री बन गये थे, तब कांग्रेस में सीएम के दो बड़े दावेदार थे, सबसे बड़ी दावेदारी मल्लिकार्जुन खरगे की थी,
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