राजनाथ से सीखें : खाला का घर नाय !

गृहमंत्री राजनाथ सिंह अपने लखनऊ स्थित इस बंगले को तुरंत खाली कर रहे हैं लेकिन सभी पूर्व मुख्यमंत्री उन बंगलों को किसी न किसी बहाने हथियाए रखना चाहते हैं।

New Delhi, May 25 : उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अपने-अपने बंगले 15 दिन में खाली करें, ऐसा आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने जारी किया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह अपने लखनऊ स्थित इस बंगले को तुरंत खाली कर रहे हैं लेकिन सभी पूर्व मुख्यमंत्री उन बंगलों को किसी न किसी बहाने हथियाए रखना चाहते हैं। मायावती ने एक नई तरकीब इजाद कर ली है। उन्होंने अपने बंगले को ‘कांशीराम स्मारक’ बना दिया है। अब सरकार उसे खाली कैसे करवाएगी ?

मायावती ने इस बंगले को अब दलितों के मान-अपमान का विषय बना दिया है। कुछ पूर्व मुख्यमंत्री उप्र सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें कम से कम अगले दो साल तक उन बंगलों में रहने दिया जाए। वे ये जुगाड़ भी लगा रहे हैं कि उन बंगलों को विपक्षी नेता के नाम कर दिया जाए ताकि वे वहीं टिके रह सकें। इसमें शक नहीं कि इन बंगलों को खाली करने के लिए 15 दिन की अवधि काफी कम है। वह दो-तीन माह तो होनी ही चाहिए। ये नेता लोग अब चाहे सत्ता में न हों लेकिन इनसे मिलने-जुलने वालों की भीड़ लगी रहती है। इसके अलावा उनके सुरक्षाकर्मियों और घरेलू सेवकों के लिए पर्याप्त स्थान की जरुरत होती है।

विधानसभा ने प्रस्ताव पारित करके ये बंगले हमेशा के लिए इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को दे दिए थे। आश्चर्य है कि किसी भी पार्टी ने उस समय इसका विरोध डटकर क्यों नहीं किया ? इन बंगलों को अपना निजी स्थायी निवास मानकर इन नेताओं ने इनका साज-सज्जा पर अपनी जेब से लाखों रु. खर्च किए हैं। हमें अपने फटे कपड़े फेंकने में भी दर्द होता है, बताइए इन नेताओं से हम इतनी बड़ी कुर्बानी की आशा कैसे करें ? लेकिन इन्हीं नेताओं के बीच राजनाथ सिंह जैसे लोग भी हैं, जिन्होंने अपने आचरण को सारे नेताओं के लिए अनुकरणीय बना दिया है। वैसे इन नेताओं के पास रिश्वत, चंदे और भेंट के करोड़ों रु. पड़े रहते हैं। वे चाहें तो इन सरकारी बंगलों से भी बड़े बंगले रातोंरात खरीद सकते हैं।

मेरी राय तो यह है कि देश के सभी छोटे-बड़े नेताओं को 4-5 कमरों के फ्लेट दिए जाने चाहिए। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से भी उनके निवास तुरंत खाली करवाने चाहिए। मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों से भी ! इन्होंने राजनीति को खाला (मौसी) का घर समझ रखा है। जो भी राजनीति में आए, उसे कबीर का यह दोहा याद रखना चाहिए:
यह तो घर है, प्रेम का, खाला का घर नाय ।
सीस उतारे, कर धरे, सो पैठे घर माय ।।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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