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कालाधन वालों को सरकार का अभयदान ?

योग गुरु स्वामी रामदेव ने भी कालाधन के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ा था। विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के बीजेपी के वादे पर भरोसा कर उन्होंने चुनाव में उसे समर्थन दिया था। उनके साथ भी धोखा हुआ है।

New Delhi, Jun 30 : भारतीय धन्ना सेठों, राजनेताओं, अभिनेताओं और नौकरशाहों का विदेशों में जमा कालाधन वापस आना तो दूर उल्टा उसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि की खबर है। यह खबर स्विट्जरलैंड से आई है। 13 साल में यह सबसे अधिक वृद्धि है। इससे पहले 2004 में स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 56 फीसदी बढ़ा था। मोदी सरकार के शुरुआती तीन साल में स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा लगातार घट रहा था। काले धन को रोकने के लिए नोटबंदी और बेनामी संपत्ति कानून जैसे सख्त कदम उठाने के बावजूद तीन साल का ट्रेंड पलटना चौंकाने वाला है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कालाधन वापस लाने के मामले में केंद्र सरकार बुरी तरह फेल रही है। कालाधन में 50 प्रतिशत की वृद्धि इस बात का संकेत है कि कालेधन वालों को सरकार ने अभयदान दे दिया है।

जानकारी सामने आने के बाद अब वित्त मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि स्विट्जरलैंड में भारतीयों के बैंक खातों की पूरी जानकारी मिलने में एक साल और लगेगा। जनवरी 2018 से लेकर दिसंबर 2018 तक के आंकड़े अगले साल मार्च तक मिल जाएंगे।

अपने कार्यकाल के चार साल बीत जाने के बाद केंद्र सरकार का यह कहना उसकी नाकामी ही दर्शाता है। सरकार के शपथ लेने के बाद ही आनन् -फानन में कालाधन विदेशों से वापस लाने के लिए SIT गठित हुई थी। SIT ने क्या किया यह बताने की जरुरत नहीं है। आंकड़े सबकुछ साफ- साफ़ बता रहे हैं। आरंभ में ही राम जेठमलानी ने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार जो तरीका अपना रही है ,उससे सात जन्मों में भी कालाधन वापस नहीं आयेगा। यह हैरान करनेवाली बात है कि राम जेठमलानी जैसे व्यक्ति यह बात समझ गए कि कालाधन कैसे वापस लाया जा सकता है, लेकिन अर्थ विशेषज्ञ होने का दावा करनेवाले सरकार के तारणहारों को यह बात समझ में नहीं आई ?

मजे की बात यह है कि इस दौरान पाकिस्तानियों के जमा कालेधन में कमी आई है। यानी इस मामले में हम पकिस्तान से भी गए गुजरे हो गये हैं। योग गुरु स्वामी रामदेव ने भी कालाधन के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ा था। विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के बीजेपी के वादे पर भरोसा कर उन्होंने चुनाव में उसे समर्थन दिया था। उनके साथ भी धोखा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हर चुनावी सभा में विदेशों में जमा कालाधन का जिक्र करते थे। उन्होंने कहा था कि कालाधन वापस आ गया तो देश को टैक्स नहीं देना पड़ेगा। साथ ही सभी देशवासी के खाते में 15 लाख रूपये भी जमा हो जायेंगे। देशवासियों के खाते में तो वृद्धि नहीं हुई हाँ कालाधन में जरूर वृद्धि हो गई। क्या यह उम्मीद की जाए कि हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री इसपर जनता को कोई स्पष्टीकरण देंगे ?

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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