New Delhi, Dec 14 : मध्य प्रदेश में कमल का फूल मुरझा गया और एक बार फिर हाथ का परचम लहराया है । कांग्रेस प्रदेश में 15 साल का वनवास खत्म कर लौटी है । लेकिन ये वापसी किसके नेतृत्व में आगे जाएगी इसका फैसला करने में कांग्रेस को वक्त लग गया । ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच सीएम की कुर्सी के लिए कांटे की टक्कर देखने को मिली । भोपाल में देर रात हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में आखिरकार कमलनाथ के नाम पर सहमति बन ही गई । बताया जा रहा है कि इसमें प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी का बहुत बड़ा हाथ है ।
नतीजों के बाद से ही जारी थी माथापच्ची
आपको बता दें कि 11 दिसंबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही कांग्रेस में सीएम
पद को लेकर माथापच्ची चल रही थी । इस रेस में दो ही नाम थे, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया । आखिरकार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से कमलनाथ के नाम पर मुहर लगी । कमलनाथ कांग्रेस के पुराने खिलाड़ी हैं, उन्हें 8 महीने पहले ही मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था ।
कमलनाथ के बारे में क्या ये जानते हैं आप
मध्य प्रदेश कांग्रेस में जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तब भी ये बात फिर से चर्चा में आई थी कि
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना ‘तीसरा बेटा’ मानती थीं । ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होने खुद एक रैली में घोषणा की थी । दरअसल, ये तब की बात है जब कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में थे और इंदिरा गांधी उनके लिए चुनाव प्रचार करने आईं थीं । इंदिरा ने तब चुनावी रैली में लोगों से कहा था, ‘कमलनाथ मेरे लिए तीसरे बेटे जैसे हैं. कृपया उन्हें वोट दीजिए ।’
जेल भी गए थे कमलनाथ
बात साल 1979 की है । तब कमलनाथ ने मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबला करने में कांग्रेस
की मदद की थी । दरअसल कमलनाथ संजय गांधी के हॉस्टलमेट थे और इमरजेंसी के बाद मोरारजी देसाई की सरकार में वो उनके लिए जेल भी गए थे । 72 साल के कमलनाथ ने अब इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दमदार भूमिका निभाई है । कमलनाथ अब तक 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं । वह यूपीए सरकार में कैबिनेट मिनस्टिर भी रह चुके हैं ।
कमलनाथ का बयान
मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद कमलनाथ ने कहा, ‘यह पद मेरे लिए मील का पत्थर है। 13 दिसंबर को इंदिराजी छिंदवाड़ा आई थीं। मुझे जनता को सौंपा था। ज्योतिरादित्य का धन्यवाद जो उन्होंने मेरा समर्थन किया। मुझे पद की भूख नहीं है। मैंने संजयजी, इंदिराजी, राजीवजी के साथ काम किया और अब राहुल गांधी के साथ काम कर रहा हूं।
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