New Delhi, Jan 10 : केन्द्र सरकार आर्थिक रुप से कमजोर सवर्णों के लिये दस फीसदी आरक्षण देने जा रही है, इसके लिये सरकार कानून में संसोधन करने जा रही है, फिलहाल स्थिति ये है कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह संशोधन बिल पास हो चुका है, अब कयास लगाये जा रहे हैं कि साल 1992 में नरसिम्हा राव सरकार के सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली इंद्रा साहने कहीं मोदी सरकार की कवायद पर भी अडंगा ना डाल दे।
आरक्षण के खिलाफ गई थी सुप्रीम कोर्ट
साल 1992 में इंद्रा साहने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सवर्णों को आरक्षण देने की कोशिश पर विराम लगा दिया था, साथ ही कोर्ट ने तय किया था कि
योग्य सवर्णों को नुकसान
एक निजी न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होने कहा कि मोदी सरकार के इस फैसले से सामान्य कैटेगरी के योग्य उम्मीदवारों को नुकसान होगा,
1992 में खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा
साल 1992 में तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार के द्वारा सवर्णों को दिये गये आरक्षण के फैसले को याद करते हुए उन्होने बताया कि
नौ जजों की बेंच ने की सुनवाई
उन्होने बताया कि जस्टिस वेंकटचलैया की बेंच द्वारा फैसला दिये जाने से पहले कई बेंचों से होकर ये मामला गुजरा था,
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