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सर्वे कह रहे हैं कि एकजुट विपक्ष मोदी के लिये परेशानी खड़ी कर सकते हैं, लेकिन महागठबंधन है कहां?


भले विपक्ष महागठबंधन का सपना देख रही है, लेकिन कांग्रेस के साथ क्षेत्रीय दल जुटने को तैयार नहीं है।

New Delhi, Jan 27 : पिछले सप्ताह कोलकाता के बिग्रेड परेड मैदान के मंच पर 23 दलों के नेताओं की मौजूदगी में सीएम ममता बनर्जी ने बीजेपी के लिये ‘मौत की घंटी’ बजाई थी, उन्होने लाखों लोगों के सामने घोषणा की थी कि मोदी सरकार अपनी एक्सपायरी डेट पार कर चुकी है, उन्होने यूनाइटेड इंडिया रैली में महागठबंधन की एकता दिखाने की कोशिश की थी, हालांकि राजनीतिक एक्सपर्ट का कहना है कि महागठबंधन के मामले में जितना अर्थमेटिक है, उतनी ही केमेस्ट्री भी है।

बिखरा विपक्ष
भारतीय राजनीति में ये नया बात नहीं है, जब कोई राजनीतिक दल का नेता ज्यादा मजबूत हो जाता है, तो विपक्षी दल सारे मतभेद भूलकर एक हो जाते हैं, बीजेपी के चुनावी प्रभुत्व और पीएम मोदी की लोकप्रियता भी बिखरे विपक्ष को साथ ला रहा है, अगर महागठबंधन हकीकत में बनता है, तो बीजेपी के लिये परेशानी होगा, सर्वेक्षणों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं, कि आगामी चुनावों में बीजेपी को झटका लग सकता है, हालांकि सबसे बड़ी पार्टी की तमगा बीजेपी के पास ही रहेगी, लेकिन 272 के जादूई आंकड़े से पार्टी दूर रह सकती है।

एबीपी के अनुसार 233 सीटें
हाल ही में एबीपी न्यूज और सी वोटर के सर्वे के अनुसार अगर अभी चुनाव हुए तो एनडीए को 543 में 233 सीटें मिल सकती है, इंडिया टुडे के मुताबिक 237 सीटें मिल सकती है, खास बात ये है कि ये सर्वे ऐसे परिदृश्य की भविष्यवाणी कर रहे हैं, जहां एकजुट विपक्ष मोदी से मुकाबला कर रहा है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर महागठबंधन नहीं बनेगा, तो क्यो होगा, बिखरा विपक्ष मोदी को रोक पाएगा।

हर जगह से गायब है कांग्रेस
यूपी में हम जो देख रहे हैं, वो बीजेपी, सपा-बसपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है, शायद अभी ये कहना जल्दबाजी होगा, कि बीजेपी पर इसका सकारात्मक या नकारात्मक असर पड़ेगा या नहीं, लेकिन खास बात ये है कि यूपी में कोई महागठबंधन है ही नहीं, लेकिन अगर मुकाबला बीजेपी बनाम महागठबंधन हुआ, तो महागठबंधन भारी पड़ सकता है, लेकिन अगर मुकाबला त्रिकोणीय होगा, तो बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोटों का बंटवारा होगा, जिसका सीधा फायदा बीजेपी के उम्मीदवार को मिलेगा।

कांग्रेस पर लगा रहे आरोप
भले विपक्ष महागठबंधन का सपना देख रही है, लेकिन कांग्रेस के साथ क्षेत्रीय दल जुटने को तैयार नहीं है, हाल ही में टीडीपी-कांग्रेस का गठबंधन टूट गया, इससे पहले आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया, कि वो 4 राज्यों में अकेले ही चुनाव लड़ेंगे, यूपी में सपा-बसपा ने कांग्रेस को 2 सीटों तक सीमित कर दिया, बिहार में भी सीटों पर पेंच फंसा हुआ है, यानी मीडिया जिस महागठबंधन की बात कर रही है, वो है कहां।

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