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कांग्रेस ने ऐसे किया था बंगला देश विजय का चुनावी इस्तेमाल !

भारत -पाक युद्ध में भारत की विजय श्रीमती इंदिरा गांधी के सफल नेतृत्व का प्रतीक है और श्रीमती गांधी के हाथ मजबूत करने के लिए विभिन्न प्रदेशों में अब कांग्रेस पार्टी की सरकार होनी चाहिए।

New Delhi, May 04 : बंगला देश को लेकर भारत-पाक युद्ध के कुछ ही महीने बाद कई विधान सभाओं के चुनाव हुए थे।
उस चुनाव की पूर्व संध्या पर तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने मतदाताओं के नाम पत्र लिखे थे ।
उस पत्र में लिखा गया था कि ‘देशवासियों की एकता और उच्च आदर्शों के प्रति उनकी निष्ठा ने हमें युद्ध में जिताया।
अब उसी लगन से हमें गरीबी हटानी है।इसके लिए हमें विभिन्न प्रदेशों में ऐसी स्थायी सरकारों की जरूरत है जिनकी साझेदारी केंद्र सरकार के साथ हो सके।’
इस पत्र में सेना को कोई श्रेय नहीं दिया गया।

इस चिट्ठी को कई भाषाओं में अनुदित करवा कर घर -घर पहुंचाने की भरसक कोशिश की गई थी।
उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव दो साल पहले ही करवा लिया गया ताकि युद्ध में विजय का चुनावी लाभ कांग्रेस को मिल सके।
वहां विधान सभा का कार्यकाल 1974 में पूरा होने वाला था।
जबकि, मुख्य मंत्री कमलापति त्रिपाठी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा राजेंद्र कुमारी वाजपेयी ने समय से पहले चुनाव का विरोध किया था।
क्या वह युद्ध में विजय का चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं था ?

उन दिनों की प्रतिष्ठित साप्ताहिक पत्रिका दिनमान @5 मार्च, 1972 @ में प्रकाशित एक रपट के अनुसार ,‘जहां तक कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र का संबंध है, उसने @यानी कांग्रेस ने@ यह बात छिपाने की कोशिश नहीं की है कि भारत -पाक युद्ध में भारत की विजय श्रीमती इंदिरा गांधी के सफल नेतृत्व का प्रतीक है और श्रीमती गांधी के हाथ मजबूत करने के लिए विभिन्न प्रदेशों में अब कांग्रेस पार्टी की सरकार होनी चाहिए।
तर्क यह दिया गया कि मजबूत केंद्रीय सरकार होने के कारण ही विदेशी आक्रमण को मंुहतोड़ उत्तर दिया जा सका।’
ध्यान रहे कि कांग्रेस ने तब यह नहीं कहा था कि हमारी सेना के कारण हम युद्ध जीते।
पर, आज वही कांग्रेस तथा अन्य प्रतिपक्षी दल हर जीत व सफलता के लिए मोदी सरकार के बदले सेना या फिर दूसरे देश को श्रेय दे रहे हैं।

यदि इंदिरा गांधी बंगला देश युद्ध का इस तरह लिखित रूप से चुनावी इस्तेमाल नहीं भी करतीं तो भी उन्हें उसका चुनावी लाभ मिलता ही।
फिर भी उन्हें धैर्य नहीं था।
उसी तरह यदि नरेंद्र मोदी सर्जिकल स्ट्राइक या फिर
मसूद अजहर के खिलाफ ताजा कार्रवाई का चुनावी इस्तेमाल न भी करंे तो भी राजग को उसका चुनावी लाभ मिलेगा ही।
पर, चुनावों के ऐसे मौकों पर हम कुछ दलों ,नेताओं व खास खांचे वाले बुद्धिजीवियों के ओछे व्यवहार देखतेे ही रहने को अभिशप्त हैं।
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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