New Delhi, May 31 : नीतीश कुमार ने बिलकुल सही कदम उठाया है. अगर बीजपी अपनी भंयकर भूल में सुधार नहीं करती है तो अगले विधानसभा चुनाव में उसका वही हाल होगा तो 2015 में हुआ था. एक बर्थ का आफर देना वादाखिलाफी है. जब 17 एमपी में पांच मंत्री बना सकते हैं तो 16 एमपी के बीच 3 बनाने में कैसी परेशानी?
वीथ 17 परसेन्ट वोटस इन हीज पाकिट, आज की तारीख में नीतीश कुमार बिहार की राजनीति की धूरी है. बीजेपी हो या राजद जिसके पांत में नीतीश कुमार पालथी मार के बैठेंगे,
मंत्रिमंडल में उचित प्रतिधिनित्व नहीं देकर बीजपी ने आत्मघाती कदम उठाया है. वह मुगालते में है कि खाली मोदी वेभ के कारण बिहार में प्रचंड जीत प्राप्त की है.
तर्क है कि शिवसेना के 18 एमपी हैं तो भी मात्र एक बर्थ दिया गया है. अउर उ शांत है. बीजेपी का यह नीतिगत डिसिजन था कि ईच सहयोगी दल को एक मीनीस्टीरियल बर्थ मिलेगा. बिहार के संदर्भ में ये गलत डिसिजन है. चार साल पहले महाराष्ट्र विधानसभा का अकेले चुनाव लड़कर व सरकार बनाकर बीजेपी ने शिवसेना को उसकी औकात बता दी है.
बिहार बिहार ह, महाराष्ट्र ओला मंतर एहिजा ना काम करेगा. ऐहिसे सलाह बा कि जल्दी भूल चूक लेनी देनी किया जाए.
परजातन्तर
(वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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