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मंत्री पद को लेकर बंगाल BJP अध्‍यक्ष से लेकर राम माधव, विजयवर्गीय तक हताश, बोले फोन तो आया था लेकिन

”मैंने मंत्री पद को लेकर हमारी आकांक्षाओं से उन्हें अवगत कराया था। मैंने कहा कि जब हमारे बस दो सांसद थे तो दोनों को मंत्री पद मिले। अब जब हमारे पास 18 सांसद हैं तो भी हमें उतने ही पद मिले।”

New Delhi, Jun 01 : मोदी सरकार के मंत्रिमंडल को लेकर बंगाल से लेकर महाराष्‍ट्र, बिहार से लेकर तमिलनाड़ तक नाराजगी है । पश्चिम बंगाल में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के बाद भी कैबिनेट में उचित जगह ना मिलने का दुख बंगाल बीजेपी अध्यक्ष ने खुले आम जाहिर किया । बीजेपी सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि नॉर्थ बंगाल के बीजेपी नेता एक से ज्यादा राज्यमंत्री पद की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, जिसकी वजह से कार्यकताओं में भी निराशा छा गई है ।

ममता के गढ़ में सेंध, नहीं मिला ईनाम
लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल के नतीजों से सबको चौंकाया । 18 सीट जीतने वाली बीजेपी ने तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी की नींद उड़ा दी । बंगाल बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के बाद उम्मीद थी कि कैबिनेट में बंगाल को खास तरजीह मिलेगी। वैसे ऐसा हुआ भी, सरकार में बंगाल से दो मंत्रियों को शामिल किया गया है । लेकिन पार्टी और सरकार के इस फैसले कोलकर बंगाल बीजेपी अध्‍यक्ष दिलीप घोष ने खुलकर असंतोष जाहिर किया । एक खबर के हवाले से कहा जा रहा है कि उन्‍हें मोदी मंत्रिमंडल में बंगाल से 5 से 6 मंत्रियों की उम्मीद थी । दिलीप घोष ने खुद मिदनापुर सीट पर जीत दर्ज की है।

बंगाल बीजेपी प्रमुख ने जताया अंसतोष
द टेलिग्राफ में छपी खबर के अनुसार – बंगाल बीजेपी प्रमुख ने कहा, ‘मेरी गुरुवार को रामलाल जी(संगठन महासचिव) जी से बात हुई थी। मैंने मंत्री पद को लेकर हमारी आकांक्षाओं से उन्हें अवगत कराया था। मैंने कहा कि जब हमारे बस दो सांसद थे तो दोनों को मंत्री पद मिले। अब जब हमारे पास 18 सांसद हैं तो भी हमें उतने ही पद मिले।’ यहां आपको बता दें कि बंगाल से बाबुल सुप्रियो और देवश्री मुखर्जी को मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया है।

इन नेताओं में भी खलबली
बंगाल ही नहीं केंद्र में मंत्री बनाने में हुई अनदेखी से कुछ अन्‍य शीर्ष नेता भी नाराज बताए जा रहे हैं । इनमें कैलाश विजयवर्गीय, अरुण सिंह और राम माधव के नाम भी सामने आ रहे हैं । लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने वालों में ये नाम प्रमुख है । ये वो नेता हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि जन-जन तक अमित शाह की रणनीति को लागू करने और वोटरों को एकजुट करने में इनकी अहम भूमिका रहती है ।

तीन राज्‍यों के प्रदेश अध्‍यक्षों को मिला मौका
आपको बता दें इस बार मोदी कैबिनेट में तीन राज्यों के प्रदेशाध्यक्षों को जगह दी है। लेकिन किसी भी पार्टी पदाधिकारी को जगह नहीं दी गई । 2014 के चुनाव के मुकाबले इस बार पार्टी ने 303 सीटें जीती हैं । जाहिर है संगठन की मजबूती और राज्‍यों में इन कार्यकर्ताओं की मेहनत का नतीजा है कि बीजेपी 282 से 303 पर पहुंच गई । जाहिर है अब ऐसे में कुछ चेहरे जो संगठन को मजबूत करने में मेहनत से दिन रात एक किए हुए थे वो कुछ नाराज जरूर हुए हैं । जिनमें पश्चिम बंगाल से प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, ओडीशा के प्रभारी अरुण सिंह शामिल हैं । दोनों ही राज्‍यों में बीजेपी ने अच्‍छा प्रदर्शन किया है ।

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