New Delhi, Aug 19 : हालांकि, मैं इसी समाज की हूँ.
पर मुझे यह मानने में ज़रा भी झिझक नहीं कि इन दिनों भूमिहार एक ऐसी जाति हो गई है जो मिल जुल कर आगे बढ़ने में यक़ीन ही नहीं करती. ना ही साथ समाज के लोगों की मदद करने की नियत ही रखती है. बल्कि यह जाति धन, पद, वैभव और ताक़त के लिए आपसी रिश्तों में भी छल-बल का प्रयोग करती है. यह जाति किसी कमज़ोर और बेबस को सहारा देने का जतन नहीं करती।
बल्कि अगर किसी ने अपने संघर्ष या बाहुबल से राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा या जबरिया कोई मक़ाम हासिल किया होता है, उसके ख़िलाफ साज़िश रच कर,
अनंत सिंह के साथ जो कुछ भी हो रहा है, मेरा उससे कोई वैचारिक विरोध नहीं है. पर मुझे इस बात की तक़लीफ ज़रूर है कि जो लोग अनंत सिंह के यहां नौकरों सरीखे थे.
वरना नीतिश कुमार की इतनी मजाल कहां थी कि वे अनंत सिंह के सामने सर उठा सकें या आवाज़ भी निकाल सकें. कौन नहीं जानता कि नीतिश को नीतिश कुमार बनाने वाला शख्स अनंत सिंह ही है. अनंत सिंह ने बहुतेरे अपराध किए हैं और कानूनन उन्हें अपराधों की सजा मिलनी भी चाहिए लेकिन भितरघात विश्वासघात और पीठ पर वार नहीं होना चाहिए .
खासकर उन लोगों के द्वारा जो उनके कभी तथाकथित अपने रह चुके हैं। अगर अनंत से ही महा दोषी है तो आरोपी आप लोग भी हैं क्योंकि आप सब लोगों ने मिलजुल कर के ही सारे धत करम किए हैं.
(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार रुबी अरुण के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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