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चांद की सतह पर किस हाल में है हमारा विक्रम लैंडर, ISRO ने आज फिर ट्वीट कर दी जानकारी

इसरो के एक और वैज्ञानिक ने कहा है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे ने जो तस्वीरें भेजी हैं, उससे यह पता चला है कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी । लेकिन इससे विक्रम में कोई टूट-फूट नहीं हुई ।

New Delhi, Sep 10: चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर इसरो की उम्मीदें अभी कम नहीं हुई हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक  चांद की सतह पर मौजूद विक्रम एकदम सही सलामत है और वह कहीं से भी क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है । लैंडर सतह पर एक तरफ झुका हुआ पड़ा है । विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो सकी थी, बावजूद इसके उसे कोई हानि नहीं पहुंची है । वैज्ञानिक लगातार विक्रम से संपर्क साधन की कोशिश में जुटे हुए हैं ।

लगातार संपर्क साधने की कोशिश जारी
मिशन में जुटे एक वैज्ञानिक ने कहा कि हम विक्रम से संपर्क करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। अभी हमने उम्मीद नहीं छोड़ी हैं । आपको बता दें चांद की सतह से महज 2.1 किमी दूर रहने के दौरान ही लापता विक्रम को इसरो ने दो दिन पहले ही खोज निकाला था । इसरो के एक और वैज्ञानिक ने कहा है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे ने जो तस्वीरें भेजी हैं, उससे यह पता चला है कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी । लेकिन इससे विक्रम में कोई टूट-फूट नहीं हुई । मेरा मानना है कि विक्रम से अब भी संपर्क हो सकता है।

संभावनाएं हैं, देखिए क्‍या होता है
वैज्ञानिक ने जानकारी देते हुए कहा कि विक्रम के जीवन में फिर से वसंत आ सकता है, इसकी संभावना खारिज नहीं की जा सकती है । उनके मुताबिक हर चीज की अपनी सीमाएं होती हैं । उन्‍होने कहा कि हमें भूस्थिर कक्षा में लापता हुए अंतरिक्ष यान से फिर से संपर्क कायम करने का अनुभव है। हालांकि, विक्रम के मामले में संचालन की वैसी स्थितियां नहीं हैं। यह पहले से ही चांद की सतह पर पड़ा हुआ है। इसे दोबारा से पहले जैसा हिला-डुला नहीं सकते हैं।

सॉफ्ट लैंडिंग होती तो संपर्क साधना आसान होता
मामले में एक और वैज्ञानिक ने कहा, विक्रम की स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है। उससे संपर्क करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। उम्मीद कम होती जा रही है। अगर इसने सॉफ्ट लैंडिंग की होती तो इसकी सारी प्रणाली कार्य कर रही होतीं। ऐसी स्थिति में तब हम इससे आसानी से संपर्क कर सकते थे। हालांकि, इसकी अब तक की स्थिति अच्छी है। वहीं एक और वैज्ञानिक ने बताया कि अगर विक्रम का एंटीना ग्राउंड स्टेशन या फिर ऑर्बिटर की ओर होगा तो उससे संपर्क की उम्मीद बढ़ सकती है।

अब ऑर्बिटर करेगा बेड़ा पार
इसरो के एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार चांद के आसमान में चक्कर काट रहे चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एजेंसी के लिए संकटमोचक जैसा है । इस ऑर्बिटर में इतना ईंधन है कि वह निर्बाध गति से अपने काम को सात साल तक बखूबी अंजाम देता रहेगा। यह चंद्रमा के वजूद और उसके विकास के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। ऑर्बिटर पर लगा हाई रिजोल्यूशन वाला कैमरा किसी भी चंद्र मिशन में लगने वाले कैमरों में सबसे बड़ा है।

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