New Delhi, Oct 25: गुरुवार को बांग्लादेश दौरे के जब टीम इंडिया का चयन हुआ तो राजेश दुबे नाम के शख्स की खुशी का ठिकाना नहीं रहा । उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया । वजह थी, उनके बेटे शिवम को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिलना । अब बेटे की इस कामयाबी पर पिता का फूला ना समाना तो बनता ही है । यह राजेश दुबे का जुनून ही था जिन्होने अपने बेटे के क्रिकेटिंग करियर के लिए अपना कारोबार तक दांव पर लगा दिया ।
4 साल की उम्र से ट्रेनिंग की शुरू
शिवम दुबे जब 4 साल के थे तभी उनके पिता को आभास हो गया था कि उनका बेटा क्रिकेट में
आर्थिक संकट से नहीं टूटे
शिवम दुबे के पिता का जीवन कठिनाईयो से भरा रहा । बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए कितने ही आर्थिक संकट झेलने पड़े, लेकिन न पिता ने हिम्मत हारी और न ही शिवम ही अपनी साधना से टस से मस हुए । पिता के सपने को अपना जीवन और भविष्य मानकर शिवम ने भी जमकर क्रिकेट
पर्सनल केयर, पर्सनल कोचिंग
पिता ने अपने बेटे के लिए खास डाइट तैयार की, उसे पर्सनली कोच किया । ग्राउंड में दौड़ाया, रात में रोज मालिश भी की । राजेश दुबे ग्राउंड में शिवम को रोजाना 500 गेंद फेंकते, यह सिलसिला 10 साल तक निर्बाध रूप से चलता रहा । करीब 14 साल की उम्र में शिवम ने चंद्रकांत पंडित से
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