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Blog: सदा फलता-फूलता रहे मेरा हरियाणा

तो फिर तय ही है कि जिस प्रदेश में बेटियों का इतना मान सम्मान होता रहा हो उस मिट्टी में शूर वीर ही पैदा होंगे जो देश प्रदेश की शान के लिए मर मिटें और माटी से सोना उगाकर पूरे देश का पेट भर सकें।

New Delhi, Nov 01: दादा देस जाता…. परदेस जाइयो….. मेरी जोड़ी का वर तू ढूढ़ियो……..मेरा हरियाणा 54 बरस का हो गया है…..आम तौर पर हरियाणा की पहचान दूध दही के खाने और यहां के किसानों और जवानों से की जाती है, लेकिन सही में मेरे हरियाणा की असली पहचान इस गीत के बोलों से की जा सकती है….ये गीत कोई नया नहीं है बल्कि हमने अलग-अलग मौकों पर अपनी दादी और परदादी की उम्र की महिलाओं के मुख से इसे सुना है…..मतलब एक वक्त था जब हरियाणा में घर की बेटियों को इतनी आजादी थी कि वो अपने दादा से इस तरह की मांग भी कर सकती थी कि दादा अगर इस देश में नहीं तो प्रदेश तक जाना लेकिन अपनी लाड़ो पोती की शादी उसके जोड़ी के वर के साथ ही करना….ये है मेरा असल हरियाणा… जहां घर की बेटियों को इतना मान और सम्मान दिया जाता था कि अगर गांव का कोई भी व्यक्ति चाहे वो किसी भी जाति का हो वो अगर गांव की बेटी की ससुराल गया है तो उसके घर मान करने जाता था या यूं कहें कि शगुन के पैसे जरूर देकर आता था। ये तो फिर तय ही है कि जिस प्रदेश में बेटियों का इतना मान सम्मान होता रहा हो उस मिट्टी में शूर वीर ही पैदा होंगे जो देश प्रदेश की शान के लिए मर मिटें और माटी से सोना उगाकर पूरे देश का पेट भर सकें।

दामण, कुर्ती, हार, झालरा, बोरला, कडुली, चुंडा ये श्रृंगार करके जब गांव के पनघट पर रोनक लगा करती तो गांव की शान में चार चांद लग जाते थे…दूसरी ओर धोती, कुर्ता खंडुआ वाले जवान गांव के लिए गर्व होते थे…ये रोनक हरियाणा में फिर से दिखनी ही चाहिए। मेरे हरियाणा की खासियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है इसके उत्तर में दुनिया की नवीनतम पर्वतमाला शिवालिक है तो दक्षिण में दुनिया की सबसे पुरानी पर्वतमाला अरावली इसकी शोभा बढ़ाती है। मतलब जहां हम अधुनिकता से अपना रिश्ता जोड़कर आगे बढ़ रहे हैं वहीं अपनी पुरानी संस्कृति और मूल्यों को भी हमने पीछे नहीं छोड़ा है और यही हरियाणा की पहचान है।
1 नवंबर 1966 को जब हरियाणा बना तो इसके विकास को लेकर सभी को चिंता थी, लेकिन जिस राज्य को भगवान के निवास स्थान के तौर जाना जाता हो उसे आगे बढ़ने से भला कौन रोक सकता है। हरा-भरा और अनाज से परिपर्ण होने की वजह से ही महाभारत काल में मेरे हरियाणा को बहुधान्यक के नाम से जाना जाता था। मनुस्मृति में भी इसे हरियाणा नाम दिया गया है। आर्य सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हरियाणा के कुरुक्षेत्र में धर्म युद्ध हुआ था और यहीं भगवान श्री कृष्ण के मुखारविन्द से गीतामृत की वर्षा हुई थी। शायद यही वजह है कि हरियाणा के लोगों ने कभी अन्याय सहन नहीं किया। हर बार यहां के लोगों ने शत्रुओं को मुंह तोड़ जवाब दिया।

आज हरियाणा में 22 जिले हैं लेकिन जब ये अस्थित्व में आया तो अम्बाला, रोहतक, करनाल, हिसार गुड़गाँव, कुरुक्षेत्र, महेन्द्रगढ़ और जींद जिले होते थे। विकास के लिए जरूरी था कि जिलों का आकार छोटा किया जाए ताकि लोगों को तमाम सुविधियां आसानी से मिल सकें। सरकारों ने इसपर भी बेहतरीन तरीकों से काम किया और प्रदेश के निर्माण के बाद लगभग हर सरकार ने सूबे को आगे बढ़ाने के लिए योगदान दिया। बंसीलाल ने प्रदेश के विकास के लिए घर-घर बिजली पहुंचाने के साथ-साथ नहरों का जाल बिछाया, जिससे खेती को प्रोत्साहन मिला साथ ही उन्होंने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम किया। बंसीलाल ने प्रदेश के विकास का मूलभूत आधार ढांचा मजबूत किया। इस प्रदेश में देवीलाल जैसे मुख्यमंत्री भी हुए जिन्होंने किसान-कमेरे और बुजुर्गों के मान सम्मान को कभी नीचे नहीं आने दिया। ओला वृष्टि से फसल खराब होने पर मुआवजा देने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल थे और बुजुर्गों की पेंशन देने का काम भी देश में पहली बार उन्होंने ही शुरू किया था। चौधरी भजनलाल के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। भजनलाल ने प्रदेश में औघोगिक विकास का नया रास्ता तैयार करते हुए फरीदाबाद जैसे शहर को विकसित किया। हरियाणा का पड़ोसी राज्य पंजाब जब आतंकवाद की आग में झुलस रहा था उस वक्त भजनलाल ही थे जिन्होंने इसकी आंच तक हरियाणा में नहीं आने दी।

ओम प्रकाश चौटाला को प्रदेश में रोडवेज को मजबूत करने के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। इसके अलावा सरकार आपके द्वार कार्यक्रम शुरू करके पहली बार ऐसा हुआ था कि खुद सूबे का मुखिया जनता की समस्याएं सीधे सुनता था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में सड़कों का जाल बिछाया। आई-आई-एम हरियाणा में लेकर आना अलग यूनीवर्सिटी खोलना और मेट्रो फरीदाबाद और गुरुग्राम में लेकर आना हरियाणा के विकास में उनके योगदान के रूप में गिना जाएगा। वर्तमान के मुख्यमंत्री मनोहरलाल की सरकार के दौरान भी प्रदेश के विकास के लिए हर संभव प्रयास किए गए। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को हम कह सकते हैं कि इससे प्रदेश में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले सम्मानजनक स्तिथि में आ चुकी है। इसके अलावा पढ़ी लिखी पंचायतें हरियाणा को मिलीं जिससे गांवों के विकास को एक दिशा मिल सके। खट्टर सरकार के दौरान ही किसानों की बेहतरी के सब्जियों के दाम भी मार्केट के हिसाब से दिए जाने का फैसला हुआ और हर किसान का डाटा ऑन लाइन किया गया।
कह सकते हैं कि हरियाणा के विकास में हर सरकार ने अपना योगदान दिया है, लेकिन जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभाते हुए हम सभी के लिए भी ये जरूरी है कि हम किसी न किसी रूप में अपने प्रदेश को मजबूत करने का काम करें। हम जो भी काम करते रहे हैं उसमें कुछ रचनात्मकता लाने का प्रयास करें क्योंकि ये जमीन तो वैसे भी सृजन करने वालों की है। जय भारत जय हरियाणा….(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप डबास के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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