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Opinion- रंजन गोगोई- खलनायक से महानायक

रंजन गोगोई जी को हमेशा ऐसे जज के तौर पर जाना जाएगा जो कड़े फैसले लेने में जरा भी नहीं चूका।

New Delhi, Nov 18 : श्री रंजन गोगोई जब भारत के मुख्य न्यायाधीश बने तो पूरे देश में संशय की स्थिति थी कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री का यह पुत्र कांग्रेस हित में देश हितों की बलि तो नहीं चढ़ा देगा.. इस पद पर आने के पहले देश के इतिहास में पहली बार अपने ही मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस करके लोगों के विश्वास को ये बहुत हद तक तोड़ भी चुके थे । यह तो मोदी सरकार की तारीफ की जानी चाहिए कि कांग्रेस सरकार की तरह वरीयता को तिलांजलि देते हुए अपने स्वार्थ में किसी और को मुख्य न्यायाधीश बहाल नहीं किया वरना असीमित कंट्रोवर्सी की शुरुआत हो चुकी होती

शुरुआती दौर में इनके कतिपय निर्णयों से लगने लगा था कि ये देश हित से दूर कांग्रेस हितों को तरजीह देने में लगे हैं लेकिन वो कहते हैं ना कि जिम्मेवारी आपको जिम्मेवार भी बना देती है तो फिर सामने आना शुरू हुआ गोगोई साहब में बदलाव, वो बदलाव जो देश के हितों की रक्षा करने वाला था और जिसकी इस देश के मुख्य न्यायाधीश से आम लोगों की उम्मीद रहती है
रिटायरमेंट आते आते इनकी छवि एक जननायक के तौर पर उभर गयी जिसे इस पद पर आने वाला कोई भी दूसरा व्यक्ति पाना चाहेगा…

रंजन गोगोई जी को हमेशा ऐसे जज के तौर पर जाना जाएगा जो कड़े फैसले लेने में जरा भी नहीं चूका चाहे 161 साल से लंबित रामजन्म भूमि के विवाद का निपटारा हो या आसाम में एनआरसी लागू करवाने की बात हो जस्टिस गोगोई ने अपनी छवि के मुताबिक काम किया । न खुद कोई मसला टाला, न सरकारी एजेंसियों को उसे लटकाने दिया

इन कुछेक बड़े फैसलों के लिए गोगोई हमेशा याद किए जाएंगे यथा,
जजों की रिक्तयां पूरी कीं : जस्टिस गोगोई के कार्यकाल के दौरान दस सालों में यह पहला मौका आया था कि उच्चतम न्यायालय में जजों की एक भी रिक्ति नहीं रही, उनके कार्यकाल में कोर्ट में सभी 34 पदों पर जजों की नियुक्ति की गई ; मुख्य न्यायाधीश कार्यालय को आरटीआई के दायरे में लाया ; सबरीमाला मामला सात सदस्यीय बेंच को भेजा ; राफेल मामले को हमेशा के लिए स्पस्ट कर दिया, राहुल गाँधी को फटकार लगायी ; सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी लगाया हालाकि इसमें बाद में बदलाव लाया गया ; अंग्रेजी और हिंदी समेत 7 भाषाओं में कोर्ट के फैसलों को प्रकाशित करने का फैसला गोगोई ने ही लिया। इससे पहले तक शीर्ष अदालत के फैसले सिर्फ अंग्रेजी में ही प्रकाशित होते थे

अपने अंतिम कार्यदिवस के दिन परंपरा के मुताबिक CJI श्री गोगोई अपने उत्तराधिकारी जस्टिस बोबड़े के साथ कोर्ट रूम में बैठे, इस दौरान उन्होंने सिर्फ तीन मिनट में दस मुकदमों में नोटिस जारी किया
और जो हो, देश के न्यायायिक प्रणाली में अपना नाम तो रंजन गोगोई साहब ने सम्मान के साथ दर्ज करवा ही लिया है… इनके भावी जीवन के लिए हम सभी की शुभकामनायें

(हिमांशु नारायण के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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