New Delhi, May 23: कोरोना संकट काल में मानव जाति त्राहिमाम कर रही है । सरकारें परेशान हैं, बीमारों को बचाने के लिए युद्धस्तर पर देश काम कर रहे हैं । लेकिन लाखों की जान ले चुका कोरोना अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है । संक्रामक बीमारी होने के कारण लॉकडाउन ही एकमात्र वजह बची । लगभग 2 महीने के लॉकडाउन में मानों प्रकृति को भी वक्त मिल गया, खुद को संवारने का । नतीजे हैरान करने वाले हैं । विशेष तौर पर गंगा, इस पवित्र नदी को स्वच्छ करने के लिए सरकारों ने कितना पैसा पानी की तरह बहा दिया लेकिन असर अब जाकर दिखना शुरू हुआ है ।
मछलियों की घर वापसी
खबर काशी से है, वाराणसी के घाट पर बहता गंगा का पानी निर्मल औ स्वच्छ हो गया है । हैरान करने वाली बात ये कि नदी के पानी
50 सालों में बड़ा सुधार
पिछले 50 सालों में गंगा का जल जिस तरह से प्रदूषित हुआ है इस लॉकडाउन में उतनी ही तेजी से वो स्वच्छ भी हो गयया है । मार्च के महीने में जनता कर्प्यू से लेकर अगले 40 दिनों तक गंगा में औसतन घुलनशील आक्सीजन की मात्रा
7 प्रजातियों की मछलियां दिखीं
काशा में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी डॉ कालिका सिंह के मुताबिक मछलियों की वो सात प्रजातियां जो किसी जमाने में काशी की गंगा
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