New Delhi, Nov 22 : दिल्ली सरकार ने 18 नवंबर को हाईकोर्ट में दिये अपने हलफनामे में कहा था कि सड़क पर कार को प्राइवेट व्हीकल बताकर मास्क लगाने से नहीं बचा जा सकता, दिल्ली सरकार ने ये हलफनामा उस याचिका पर दिया था, जिसमें बंद कार में अकेले ड्राइविंग कर रहे शख्स को मास्क ना लगाने पर 500 रुपये के जुर्माने को कोर्ट में चुनौती दी गई थी, क्या वाकई में सड़क पर खड़ी और चलती कार एक प्राइवेट स्पेस की कैटेगरी में आती है, आइये आपको बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा।
10 लाख का मुआवजा
बता दें कि दिल्ली सरकार ने ये हलफनामा दिल्ली हाई कोर्ट के वकील सौरव शर्मा द्वारा लगाई गई याचिका पर दिया है,
मास्क पहनने को लेकर गाइडलाइन
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के बढते प्रभाव को देखते हुए डिजास्टर मैनेजमेंट के अध्यक्ष ने 8 अप्रैल को अपने एक आदेश में कहा कि
किस आधार पर मांगा मुआवजा
याचिकाकर्ता और वकील सौरव शर्मा का कहना था कि उनका जो चालान काटा गया, उसमें मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं बनता है,
क्या कहा कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट बिहार में शराबबंदी के मामले में कार में शराब पीते लोगों पर ये टिप्पणी की थी, बिहार उत्पाद शुल्क (संशोधन) अधिनियम 2016 की धारा 2(17ए) के तहत सड़क पर मौजूद किसी भी व्यक्ति की कार प्राइवेट स्पेस की कैटेगरी में नहीं रखी जा सकती है,
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