New Delhi, Nov 26 : बिहार में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जदयू ने एनडीए गठबंधन में रहते हुए जीत हासिल की, नीतीश कुमार के एक बार फिर सीएम बनने का सपना पूरा हुआ, हालांकि एनडीए से अलग होकर बिहार में किस्मत आजमाने का फैसला लेने वाले चिराग पासवान की किस्मत अच्छी नहीं रही, चिराग की पार्टी सिर्फ एक सीट ही जीत सकी, जबकि अन्य सीटों पर उसे हार नसीब हुई, चौंकाने वाली बात ये है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार में सहानुभूति फैक्टर का चिराग को कोई फायदा नहीं हुआ, और पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है।
पहले चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन
आपको बता दें कि लोजपा की स्थापना साल 2000 में रामविलास पासवान ने की थी, दलित समुदाय के लोकप्रिय नेता के रुप में उभरे पासवान धीरे-धीरे पार्टी को मुख्यधारा से जोड़ा, पहली बार 2004 लोसभा चुनाव में उतारा,
कांग्रेस के लड़ते हुए सबसे ज्यादा सीटें
इसके बाद फरवरी 2005 में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ लड़ते हुए लोजपा ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था,
घर के लोग भी नहीं बचा पाए सीट
राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं, प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज समस्तीपुर से सांसद हैं, हालांकि विधानसभा चुनाव में उतरे चिराग के बहनाई मृनाल पासवान उर्फ धनंजय राजापाकर सीट से तीसरे स्थान पर रहे, उन्हें 24 हजार वोट मिले,
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