एक मंच पर दिखे गहलोत–पायलट, नहीं हुई आपस में बातचीत लेकिन मोदी सरकार के विरोध में मिलाए सुर

अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने मंच तो शेयर किया लेकिन दोनों एक दूसरे से बात करते नजर नहीं आए । यानी तल्‍खी अभी खत्‍म नहीं हुई है ।

New Delhi, Jan 04: राजस्‍थान के दो दिग्‍गज कांग्रेस नेताओं के मनमुटाव की एक झलक फिर देखने को मिली । एक मंच पर होने के बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की दूरियां साफ-साफ नजर आईं । पिछले साल दोनों के बीच मचे सियासी घमासान के लंबे अर्से के बाद दोनों एक ही मंच पर नजर आये, वह भी दो बार ।

कृषि बिल को लेकर सजा था मंच
रविवार को राजधानी जयपुर में शहीद स्मारक पर केन्द्रीय कृषि बिलों के खिलाफ कांग्रेस के धरने में गहलोत और पायलट एक साथ एक मंच पर नजर आए, इसके बाद दोनों का आमना सामना हुआ सीएम आवास पर आयोजित कार्यक्रम में । यहां कांग्रेस और समर्थित विधायकों के डिनर के कार्यक्रम में पायलट को गहलोत के साथ मंच पर जगह दी गई । दोनों के साथ दिखने से ही गलियारों में सियासी चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है ।

साथ बैठे लेकिन बातचीत नहीं हुई
धरने और डिनर, दोनों ही जगह सभी की निगाहें गहलोत और पायलट पर ही टिकी रही । धरना स्थल पर भी दोनों दिग्गज एक साथ बैठे जरूर लेकिन इनके बीच कोई बातचीत नहीं हो पाई । इस धरने में गहलोत और पायलट गुट के नेता भी एक ही साथ बैठे  नजर आये । लेकिन इनमें भी कोई खास साथ नजर नहीं आ रहा था ।

कृषि कानून को लेकर बयान
धरना स्थल पर सीएम अशोक गहलोत ने कृषि बिलों को लेकर केन्द्र सरकार पर जमकर निशाना साधा । मुख्‍यमंत्री ने केन्द्र सरकार को नकारा और संवेदनहीन बताया । गहलोत ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुये कहा कि आपके दिल में तानाशाही प्रवृति की भावना है । ये देश को हिन्दू राष्ट्र की तरफ ले जाना चाहते हैं जो कि असंभव है । वहीं सचिन पायलट ने यहां कहा कि हर देश के इतिहास में निर्णायक क्षण आते हैं, दुर्भाग्य से केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों का जो फैसला किया है उसके दूरगामी परिणाम होंगे । पायलट ने आगे कहा कि आज तक बीजेपी नेता यह बताने की स्थिति में नहीं है कि इन कृषि कानूनों की मांग किसने की थी । दूसरा चुनाव जीतने के बाद केंद्र का रवैया बताता है कि इतिहास में नाम लिखवाने के लिए पीएम कुछ भी फैसला करने को तैयार हैं । वहीं यलट ने बीजेपी और आरएसएस पर बड़ा हमला करते हुये कहा कि किसान के साथ खड़ा होना ही राष्ट्रवाद है । निकर पहनकर नागपुर से भाषण देना राष्ट्रवाद नहीं हैं । सचिन पायलट के इस बयान की सियासी हलकों में जमकर चर्चा हो रही है ।

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