New Delhi, Jan 15 : चर्चित कवि दुष्यंत कुमार की गजल की दो लाइनें है, कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो, दुष्यंत की इन पंक्तियों को सही साबित कर दिखाया है बायें हाथ के तेज गेंदबाज टी नटराजन ने, जो आज से 50 दिन पहले तक आईपीएल खेल रहे थे, अब टीम इंडिया के तीनों प्रारुप में डेब्यू कर चुके हैं, हर खिलाड़ी का सपना अपने देश के लिये टेस्ट क्रिकेट खेलना होता है, शुक्रवार को नटराजन का यही सपना पूरा हो गया, गाबा में चौथे टेस्ट में उन्हें टेस्ट कैप मिला, गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने उन्हें टेस्ट कैप सौंपी, इस तरह वो टीम इंडिया के 300वें टेस्ट क्रिकेटर बन गये।
प्रेरणादायक है कहानी
नटराजन की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है, इस क्रिकेटर को आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के बाद बतौर टी-20 स्पेशलिस्ट टीम में शामिल किया गया था,
नेट गेंदबाज से टेस्ट क्रिकेटर
वनडे, टी-20 में डेब्यू के बाद नटराजन को बतौर नेट गेंदबाज टेस्ट टीम के साथ रखा गया, वो रोजाना भारतीय बल्लेबाजों को प्रैक्टिस कराते, इस दौरान एक विवाद भी हुआ,
बदली किस्मत
टी नटराजन की कहानी इसलिये भी खास है, क्योंकि ये खिलाड़ी तमिलनाडु के छोटे से गांव चिन्नापाम्पट्टी में जन्मा और इनकी मां मजदूरी कर परिवार का गुजारा करती थी,
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