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ममता बनर्जी ने जबसे भतीजे को आगे बढाया, नुकसान ही कराया, फिर भी पार्टी के अघोषित नंबर दो!

ममता बनर्जी के भाई अमित बनर्जी के बेटे अभिषेक बनर्जी तब लाइमलाइट में आये, जब टीएमसी पहली बार सत्ता में आई, साल 2011 में पहली बार उन्हें सक्रिय तौर पर ममता के ईद-गिर्द देखा गया।

New Delhi, Mar 16 : सीबीआई टीम टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी के घर पहुंची, तो बगैर देर किये बंगाल की सीएम ममता बनर्जी अपने भतीजे के परिवार के पास चली गई, सीएम अभिषेक की बेटी का हाथ थामे दिखी, मतलब साफ था, चाहे कोई कुछ भी कहे, उनका हाथ हमेशा भतीजे के साथ है, हालांकि तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि जब से भतीजे को ममता ने पार्टी की रणनीति बनाने का कमान सौंपी है, टीएमसी को नुकसान ही उठाना पड़ा है, बावजूद इसके डायमंड हार्बर से सांसद अघोषित तौर पर पार्टी के सेकेंड इन कमान बने हुए हैं।

ममता के ईद-गिर्द
ममता बनर्जी के भाई अमित बनर्जी के बेटे अभिषेक बनर्जी तब लाइमलाइट में आये, जब टीएमसी पहली बार सत्ता में आई, साल 2011 में पहली बार उन्हें सक्रिय तौर पर ममता के ईद-गिर्द देखा गया, उस समय उनकी उम्र सिर्फ 23 साल थी, 2014 में सोमेन मित्रा नाराज हुए, तो डायमंड हार्बर की सीट खाली हो गई, ममता ने भतीजे को चुनावी मैदान में उतार दिया, अभिषेक ने सीटी जीती और 26 साल की उम्र में सांसद बन गये, वो उस समय लोकसभा के सबसे युवा सांसद थे, उसके बाद उनका कद बढता गया।

ममता की मुश्किलें बढी
अभिषेक बनर्जी का राजनीतिक करियर जितना तेजी से आगे बढा, ममता दीदी की मुश्किलें भी उतनी ही बढती गई, उनकी वजह से पहले मुकुल रॉय ने पार्टी को अलविदा कह बीजेपी का दामन थाम लिया, अभिषेक से पहले उन्हें ममता के बाद सेकेंड इन कमांड कहा जाता था, भतीजे के आने के बाद मुकुल के पर कतरे जाने लगे, तो उन्होने टीएमसी से बाहर निकलने का फैसला लिया, ये पहला झटका था, जो 2017 में ममता को भतीजे की वजह से लगा।

रणनीति की जिम्मेदारी
2019 लोकसभा चुनाव में अभिषेक का कद और ज्यादा बढ गया, उन्हें रणनीति बनाने का काम सौंपा गया, लेकिन यहां पहला बार ममता दीदी को तगड़ा झटका लगा, विधानसभा चुनाव में सिर्फ 3 सीट जीतने वाली बीजेपी ने 18 सीटें जीत ली, टीएमसी की सीटें घटकर 34 से 22 रह गई, हालांकि अभिषेक जी-जान से टीएमसी को उठाने में लगे हैं, यही वजह है कि 2021 विधानसभा चुनाव के लिये वो पीके को बंगाल लेकर आये, उन्हें लगता है कि कठिन समय में प्रशांत किशोर ही उनका संबल हैं, उनकी रणनीति के सहारे टीएमसी बीजेपी को हरा सकती है।

ममता की कमजोरी
टीएमसी युवा विंग के चीफ अभिषेख बनर्जी अपनी इमेज को लेकर खासे सतर्क रहते हैं, वो अपने चुनाव क्षेत्र में हर साल स्पोर्ट्स इवेंट कराते हैं, फिलहाल अभिषेक बीजेपी के सीधे निशाने पर हैं, बीजेपी के नेताओं को पता चल गया है कि अभिषेक ममता बनर्जी की सबसे बड़ी कमजोरी हैं, लिहाजा उन्हें निशाना बनाकर वो ममता को नुकसान पहुंचाना चाहती है, ये भी सच है कि उनकी वजह से ही टीएमसी को शुभेन्दु अधिकारी और सौमित्र खान जैसे नेताओं को खोना पड़ा, हालांकि अभिषेक इन बातों से इंकार करते हैं कि वो पार्टी में नंबर दो हैं, उनका कहना है कि ऐसा होता तो उनके पास 35 पोस्ट होती, उनका तो यहां तक कहना है कि अगर बीजेपी के आरोप सच निकलते हैं, तो वो जनता के बीच जाकर खुद अपनी जान ले लेंगे।

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