New Delhi, May 01: उस दौर की यादें बिहार में आज भी रूह कंपा देती हैं जिस दौर में सीवान का बहुचर्चित तेजाब कांड हुआ था । लालू-राबड़ी के शासनकाल में पूरा बिहार बाहुबलियों के दबदबे में जी रहा था । उस दौर में मो. शहाबुद्दीन के नाम से पूरा इलाका कांपता था । उसके बारे में कहा जाता था कि खौफ का दूसरा नाम शहाबुद्दीन है, उसके आगे इंसानी जान की कोई कीमत नहीं । सीवान की धरती पर शहाबुद्दीन का नाम लेना गुनाह था, उसे सब ‘साहेब’ बुलाते थे । खुद शहाबुद्दीन को ‘सीवान के साहेब’ कहलाना बड़ा पसंद था ।
चंदा बाबू की यादें भी हुईं ताजा
लेकिन शहाबुद्दीन की आज चर्चा है तो उस व्यक्ति को भी याद किया जा रहा है
दो बेटों को तेजाब में नहलाकर मार डाला गया, एक को गोली मारी
दरअसल सीवान में हुए चर्चित तेजाब कांड के खिलाफ चंदा बाबू ने ही लड़ाई लड़ी थी,
ये था मामला
चंदा बाबू सीवान के जाने-माने व्यवसायी थे, साल 2004 में जब कुछ बदमाशों ने उनसे रंगदारी मांगी तो उन्होंने देने से इनकार कर दिया था । इस इनकार के बाद से चंदा बाबू की जिंदगी में सब बदल गया । चंदा बाबू के
लालू राबड़ी का था शासन
बता दें कि जिस दौर में यह बहुचर्चित तेजाब कांड हुआ था उस वक्त बिहार में लालू-
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