New Delhi, May02 : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जिस बीजेपी के लिये अपना पहला बड़ा कैंपेन लांच किया था, आज उसी को खुल्ला चैलेंज कर रहे हैं, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिये पीके टीएमसी के खेमे में खड़े थे, वो डंके की चोट पर दावा कर रहे थे कि बीजेपी प्रदेश में दहाई का आंकड़ा पार करने में ही हांफ जाएगी, आईये आपको बताते हैं कि 2012 से नेशनल सीन में आये प्रशांत किशोर का ट्रैक रिकॉर्ड अब तक कैसा रहा है।
बीजेपी के साथ शुरु किया था सफर
2013 गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार पीके ने चुनावी रणनीति का काम शुरु किया, हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश ने उन्हें जाना,
2015 में नीतीश कुमार
पीके और आईपैक के लोग अब बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिये काम कर रहे थे, प्रचार की जिम्मेदारी पीके के हाथों में थी, मुकाबला बीजेपी से था,
पंजाब में कैप्टन
बीजेपी और जदयू को सफल बनाने के बाद 2016 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को जीत दिलाने की जिम्मेदारी ली, पंजाब में लगातार दो चुनाव हारने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह को सेवा देने पहुंचे,
यूपी में लगा तगड़ा झटका
पंजाब के साथ यूपी में भी प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिये प्लान बना रहे थे, लेकिन बीजेपी की रणनीति के आगे उनकी एक ना चली, कांग्रेस की बुरी गत हो गई, बीजेपी अकेले 300 सीटें जीत गई,
आंध्र और दिल्ली में सफलता
मई 2017 में पीके को वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया, आईपैक ने जगन की इमेज बदलने के लिये कई कैपेंन चलाय़े,
अब बंगाल और तमिलनाडु
पीके ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में किसी पार्टी का समर्थन नहीं किया, नीतीश संग जनवरी में ही उनके रास्ते अलग हो गये थे, जदयू ने उन्हें निकाल दिया था, अब पीके के सामने दो बड़े प्रोजेक्ट थे,
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