नंदीग्राम में हार के बाद भी क्‍या CM पद पर बनी रहेंगी ममता बनर्जी? जानें क्‍या कहता है संविधान

ममता बनर्जी के पास सांसद बनने के लिए 6 महीने का समय है । अब चूंकि पश्चिम बंगाल में क्‍योंकि विधान परिषद नहीं है ऐसे में ममता बनर्जी को 6 महीने के अंदर किसी खाली सीट से नामांकन दाखिल करना होगा …

New Delhi, May 03: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे एक बार फिर ममता बनर्जी के नाम रहे, दीदी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है । लेकिन,  विधानसभा चुनाव में भले टीएमसी ने बीजेपी (BJP) को पटखनी दी हो लेकिन सूबे की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को उनके चुनावी क्षेत्र नंदीग्राम से हार का सामना करना पड़ा है । पश्चिम बंगाल चुनाव की सबसे हॉट सीट मानी जा रही नंदीग्राम के बारे में कुद ऐसा ही अनुमान शुरू से था और नतीजों से ये साफ भी हो गया । हालांकि जीत स्‍पष्‍ट होने में असमंजस की स्थिति बनी रही, लेकिन रविवार शाम को ममता बनर्जी ने खुद प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में अपनी हार स्‍वीकार कर ली ।

क्या ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी रहेंगी?
अब सवाल यही है कि अगर वो नंदीग्राम से हार चुकी हैं तो क्‍या वह एक बार फिर राज्‍य की मुख्‍यमंत्री बनेंगी । चुनावी जानकारों के मुताबिक, बिलकुल, ममता बनर्जी निश्चित रूप से एक बार फिर पश्चिम बंगाल की बागडोर अपने हाथ में लेंगी । दरअसल, भारत के तीन सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, योगी आदित्यनाथ और उद्धव ठाकरे के बारे में बात की जाए तो ये सभी अपने-अपने राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य हैं जबकि विधान सभा का हिस्सा नहीं है । सीधे-सीधे कहें तो वे मुख्यमंत्री बनने के लिए विधानसभा चुनाव नहीं जीते हैं । केवल बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ही एक ऐसे मुख्‍यमंत्री है जिन्‍होंने 36 साल पहले विधानसभा चुनाव लड़ा था।

इन्‍होंने भी नहीं लड़ा चुनाव
वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी कभी आम चुनाव नहीं लड़ा है । हालांकि ममता बनर्जी के साथ ऐसा नहीं है, वो इस वजह से कि पश्चिम बंगाल में विधान परिषद नहीं है । हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने इस तरह के ढांचे को बनाने की बात कही है । अब भारत के संविधान का अनुच्छेद 164 कहता है, एक मंत्री जो लगातार छह महीने तक किसी राज्‍य के विधानमंडल का नहीं होता है, वह इस समय सीमा के खत्‍म होने के बाद मंत्री नहीं बन सकता । इसका अर्थ स्‍पष्‍ट है कि ममता बनर्जी के पास सांसद बनने के लिए 6 महीने का समय है । अब चूंकि पश्चिम बंगाल में क्‍योंकि विधान परिषद नहीं है ऐसे में ममता बनर्जी को 6 महीने के अंदर किसी खाली सीट से नामांकन दाखिल करना होगा और उप-चुनाव जीतकर सांसद बनना होगा ।

आपको बता दें, बीते दिन अपनी हार स्‍वीकार करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, मैं नंदीग्राम के फैसले को स्वीकार करती हूं । मैं संवैधानिक पीठ के पास जाऊंगी । उन्‍होंने कहा इस बार के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने एक शानदार जीत हासिल की है और बीजेपी चुनाव हार गई है । ममता ने कहा, बीजेपी ने गंदी राजनीति की, चुनाव आयोग को लक्ष्मण रेखा को जरूरत है ।

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