New Delhi, May 10 : असम में बीजेपी तथा एनडीए विधायक दल के नेता चुने जाने के बाद हिमंत बिस्व सरमा आज दोपहर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, सर्बानंद सोनोवाल सीएम की रेस में पीछे रह गये, लंबी खींचतान के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक में सरमा को सीएम बनाने का फैसला लिया गया, साल 2014 से लेकर अब तक सरमा की ताकत काफी ज्यादा बढी है, सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों असम में लगातार दूसरी बार जीत के बावजूद सोनोवाल को सीएम पद की जिम्मेदारी नहीं दी गई, इसके अलावा सवाल ये भी उठता है कि आखिर हिमंत बिस्व सरमा कैसे सीएम की रेस में बाजी मार ले गये, बीजेपी नेताओं से पूछा जाए, तो वो इसका कोई आधिकारिक जवाब नहीं देते।
लगातार 4 बार से मंत्री
हिमंत बिस्व सरमा लगातार 4 बार से विधायक और मंत्री हैं, कहा जाता है कि वो हर मुश्किल हालात में काम करने के लिये तैयार रहते हैं, उनकी इस विशेषता का पुरस्कार उनके पूर्व मेंटर पूर्व कांग्रेस सीएम हितेश्वर सैकिया और तरुण गोगोई ने भी दिया,
काम के दम पर मिली जिम्मेदारी
हिमंत बिस्व सरमा अपने काम के लिये जाने जाते हैं, कहा जाता है, कि वो जो ठान लेते हैं, उसे करके रहते हैं, चाहे वो असम में सीएए का मुद्दा हो या फिर एनआरसी का, वो वहां के लोगों की भावनाओं को अच्छी तरह से जानते हैं,
जमकर की मेहनत
असम में फाइनेंस मिनिस्टर रहते हुए सरमा ने जमकर काम किया, असम ऐसा पहला राज्य था, जहां सबसे पहले जीएसटी लागू किया गया, इसके अलावा असम की सबसे लोकप्रिय अरुनोदय स्कीम को लांच किया,
अमित शाह के भरोसेमंद
कहा ये भी जा रहा है कि अमित शाह के करीबी होने की वजह से सरमा को सीएम पद की जिम्मेदारी दी गई, इसमें कोई शक नहीं, कि असम में सोनोवाल के बाद वो दूसरे नंबर के नेता थे, सरमा की बीजेपी के खेमे में जबरदस्त पकड़ है,
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