इजरायल के लिए अमेरिका ने उठाया बड़ा कदम, देखते रह गए UN सदस्‍य, फिलीस्‍तीन को झटका

इजरायल और हमास के बीच छिड़े युद्ध में क्‍या अमेरिका पर्दे के पीछे से कुछ और करने की कोशिश में जुटा है, उसका ये कदम तो इसी ओर इशारा कर रहा है ।

New Delhi, May 18: इजरायल और हमास के बीच छिड़े युद्ध ने पूरे विश्‍व की नींद उड़ा रखी है, दनादन चल रहे रॉकेट्स, गोली बारी के बीच रोजाना मासूमों की मौत की खबर, तबारी की खबर दिल दहलाने वाली है । लेकिन इस बीच दोनों देशों के बीच सीजफायर की कोशिश भी जारी है । लेकिन अमेरिका पर्दे के पीछे से कुछ और गेम खेलने की कोशिश में है, एक ओर जहां संयुक्‍त राष्‍ट्र परिषद के बाकी देश मिलकर इजरायल को कड़ा संदेश देकर सीजफायर की दिशा में काम करना चाहते हैं, वहीं अमेरिका ऐसा कदम उठाने में उनका साथ नहीं दे रहा है ।

रविवार को हुई थी बैठक
आपको बता दें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रविवार को हुई आपात बैठक के बाद नॉर्वे, ट्यूनीशिया और चीन की ओर से साझा बयान पेश किया गया जिसमें दोनों पक्षों से सीजफायर की मांग की गई थी लेकिन अमेरिका ने इसे जारी नहीं होने दिया । हालांकि, अमेरिकी दूतावास की ओर से इस मामले में अभी तक कोई टिप्पणी नहीं आई है । लेकिन, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड की ओर से दलील दी गई है कि अमेरिका कूटनीतिक चैनलों के जरिए इस संघर्ष को खत्म करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है । अमेरिकी प्रतिनिधि हैदी आमर शुक्रवार को ही तेल अवीव पहुंचे हैं, वो दोनों देशों के बीच सीजफायर कराने के लिए इजरायली-फिलिस्तीनियों के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं ।

हमास को चेतावनी
इतना ही नहीं, अमेरिकी राजदूत थॉमस ग्रीनफील्ड ने फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास का चेतावनी देते हुए कहा है कि इजरायल पर रॉकेट दागना तत्काल बंद कर दे । हालांकि उनकी ओर से इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार पर जोर नहीं दिया गया, चूंकि पिछले कुछ दिनों में ये बात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से लेकर अन्य शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों के बयानों में लगातार सामने आती रही है । इन बयानों से ही ऐसा अंदाशा लगाया जा रहा है कि अमेरिका इजरायल के साथ है । आपको बता दें इससे पहले अमेरिकी अधिकारी स्‍पष्‍ट रूप से कहते रहे हैं कि चरमपंथी संगठन हमास के हमले के जवाब में इजरायल को अपनी सुरक्षा करने का पूरा हक है ।

सभी देशों की सहमति है जरूरी
दरअसल 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में से 14 देशों ने इजरायल-गाजा में हो रही हिंसा को लेकर संयुक्त बयान जारी करने की मांग की है, सभी युद्ध रोकने की मांग करते हुए सीजफायर की अपील करना चाहते हैं । लेकिन, परिषद में किसी भी बयान को जारी करने के लिए सभी देशों की सहमति जरूरी होती है । कोई एक भी देश विरोध करता है तो किसी भी मामले पर बयान जारी नहीं किया जा सकता है । अमेरिका इसी ताकत का इस्तेमाल करते हुए इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर बयान जारी नहीं होने दे रहा है । अमेरिका की दलील है कि वह अपने स्तर पर राजनयिक प्रयास कर रहा है और उसे थोड़ा  समय चाहिए ।

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