New Delhi, Jun 17 : बिहार में अपनी ही पार्टी के सांसदों से बगावत झेलने के बाद चिराग पासवान को विपक्षी राजद और कांग्रेस की ओर से समर्थन मिला है, दोनों दलों ने ना सिर्फ चिराग को महागठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया है, बल्कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला पर गलत मिसाल कायम करने का आरोप भी लगाया है, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि लालू की पार्टी चिराग पासवान को अपने साथ लाने की कोशिश क्यों कर रही है, तो इसकी पीछे बड़ी वजह है।
वोटबैंक की राजनीति
बिहार में दलितों का वोट बैंक करीब 16 फीसदी है, जिसमें 6 फीसदी पासवान हैं, लोजपा के दिवंगत नेता रामविलास पासवान दलितों के बड़े नेता कहे जाते थे, उन्होने अपने रहते हुए ही चिराग के सिर पर पार्टी का ताज रख दिया था,
लोजपा की जड़ हैं चिराग- शिवानंद
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी चिराग पासवान का समर्थन करते हुए कहा कि रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान लोजपा की जड़ हैं, रामविलास जी ने अपने जीवनकाल में ही चिराग को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था,
पारस पर तंज
राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन ने बुधवार को कहा कि पारस को लोजपा संसदीय दल का नया नेता घोषित करना संसदीय परंपराओं के खिलाफ है, गगन ने कहा कि सदन में पार्टी का नेता कौन होगा, इसकी जानकारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा स्पीकर को दी जाती है,
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